थमा होगा कोई थक कर किसी दौड़ से, शायद कोई आख़िरी किनारा ना होगा। आँखें मूँद कर बैठे हैं जो भी, उनके लिए बाकि अब कोई नज़ारा ना होगा। जीतने के बाद भूल जाये जो जमीं भी, ऐसा तो नहीं कि वो कभी हारा ना होगा। तसल्ली होगी नहीं कभी ज्यादा कमाने से, और अगर कमाये ही ना तो गुज़ारा ना होगा। जो डूबे हैं गम में और जिसमें महबूब हैं मुज़रिम, उन्हें ग़लती से भी इश्क़ दुबारा ना होगा। जो घूम रहे हैं अभी तक अपनों की तलाश में, उनके पास ख़ुद का कोई सहारा ना होगा। ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है मेरे दोस्त, यहाँ आपका चुप रहना भी गवारा ना होगा। खिल सकते थे वो सब मुरझाये हुए फूल, उनको तबियत से किसी ने कभी सँवारा ना होगा। मुट्ठी में भर लो चाहे जितने भी पत्थर या मोती, जब जाओगे यहाँ से तो कुछ तुम्हारा ना होगा। ज़िन्दगी है अभी यहीं इसी वक़्त, ये पल जो अभी है फिर दुबारा ना होगा। ©ShubhankarThinks
थमा होगा कोई थक कर किसी दौड़ से, शायद कोई आख़िरी किनारा ना होगा। आँखें मूँद कर बैठे हैं जो भी, उनके लिए बाकि अब कोई नज़ारा ना होगा। जीतने के बाद भूल जाये जो जमीं भी, ऐसा तो नहीं कि वो कभी हारा ना होगा। तसल्ली होगी नहीं कभी ज्यादा कमाने से, और अगर कमाये ही ना तो गुज़ारा ना होगा। जो डूबे हैं गम में और जिसमें महबूब हैं मुज़रिम, उन्हें ग़लती से भी इश्क़ दुबारा ना होगा। जो घूम रहे हैं अभी तक अपनों की तलाश में, उनके पास ख़ुद का कोई सहारा ना होगा। ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है मेरे दोस्त, यहाँ आपका चुप रहना भी गवारा ना होगा। खिल सकते थे वो सब मुरझाये हुए फूल, उनको तबियत से किसी ने कभी सँवारा ना होगा। मुट्ठी में भर लो चाहे जितने भी पत्थर या मोती, जब जाओगे यहाँ से तो कुछ तुम्हारा ना होगा। ज़िन्दगी है अभी यहीं इसी वक़्त, ये पल जो अभी है फिर दुबारा ना होगा। ©ShubhankarThinks