एक समय आता है सबके जीवन में जब आपको दिखेगा अपने अंदर का खालीपन,
जब आपको दिखेगी सारे संसार की निरर्थकता, यह कोई शाब्दिक घटना नहीं है,
अगर आप जोड़ रहे हैं इसे खुद से तो यह भूल होगी आपकी,
यह घटना अचानक घटेगी, जब आप किसी क्षण पूरे खाली होंगे।
आपको दिखेगा अपना खालीपन अंदर का और बाहर का सारा बोझ बिल्कुल अलग अलग,
आप देख पाओगे बाहर का सारा नाटक, उस घड़ी तुम भी ना रहोगे तब केवल खालीपन हावी होगा।
बहुत बार लगेगा आपको की कुछ कमी है, कुछ चीज अधूरी है,
आप भाग भाग खोज लाते हो उसे भरने के तरीके,
वो तरीके बड़े सुगम हैं, सब यही करते हैं
आपके खोखलेपन के अलावा हर एक दूसरी चीज है वो भराव,
जो आपको हर बार सुगमता देगी इस खोखलेपन से आँखें मूंद लेने की।
आपको हर बार लगेगा जैसे सब भरा पूरा हो गया कोई कमी है ही नहीं,
हर बार किसी क्षण ये खोखलापन उतरेगा और आप फिर कोई उपाय खोज लोगे इससे बचने का।
धीरे धीरे आप ज्यादा और ज्यादा बेहोश होते जाओगे,
आप फंस जाओगे पूरे के पूरे इस संसार के भंवर में, यही है माया ,
आसान है उसमें फँस जाना, कठिन है जागकर खालीपन को देखना।
क्योंकि सब खो देना पड़ता है इसे देखने के लिए।
कुछ तरकीबें जो खालीपन को भर रही हैं गौर से देखना,
काम में लग जाना और भूल जाना खुद को,
इससे आसानी मिलती है खुद को भुलाने की और समय भी आसान गुजर जाता है।
वासना में डूब जाना, और ज्यादा पैसा कमाने की इच्छा, काम की वासना , और ज्यादा सम्मान पाने की वासना, और ज्यादा अधिकार की वासना ये कभी पूरी नहीं होती इसलिए पूरा जीवन इस बेहोशी में गुजारा जा सकता है आपको कभी अहसास नहीं होगा कि खोखलापन भी है आपके अंदर।
और भी कुछ सरल तरीके हैं जैसे प्रकृति प्रेम में डूब जाना जहाँ आपको हर बार प्रकृति की सुंदरता में अपने सुखी होने का भ्रम उत्पन्न होगा,
किसी से प्रेम करना, आप जिससे भी प्रेम करेंगे आपको सुविधा मिलेगी मोह में खुद को भूल जाने की, आपको सुविधा रहेगी आसान समय बिताने की, परिवारिक संबंधों में फंस जाना भी बेहोश रहने का सुगम और सामाजिक तरीका है आप आसानी से पूरा जीवन गुजार सकते हैं और आपके मसले कभी हल नहीं होंगे। नशा करना और शराब पीना आदि तरीके।
ये सभी तरीके गहन हैं और सदियों से लोग तरह तरह की बेहोशी से खुद को भुला पाते हैं, इसमें इतनी सरलता है कि मनुष्य की पूरे जीवन अपनी बेहोशी का कोई आभास नहीं होता है।
खोखलापन देखना और उसे महसूस करना अत्यंत जटिल एवं अवसादी प्रक्रिया है, यहाँ आप किसी क्षण एक निर्जीव की भाँती हो जाएंगे। जहाँ सभी क्रिया विश्राम में अजाएँगी, जहाँ आपको आभास भी ना होगा कि आप भी हो। वहाँ केवल रिक्त स्थान होगा, एक सन्नाटा होगा, किसी बात में कोई रस ना लगेगा, सभी उपक्रम व्यर्थ दिखाई देंगे।
तब आपको दिखेगा की जीवन कितना खाली है, यहाँ जो भी हम भर रहे हैं सब बाहर बाहर भर रहे हैं । अंदर तक कुछ भी वस्तु नहीं जा रही है, अंदर है एक गहराई, एक सन्नाटा, एक खालीपन, अंदर कुछ भी तो नहीं है।
ना तुम ना मैं ना मेरा कुछ भी नहीं है अंदर एक शून्य है, गहन शून्य।
#ShubhankarThinks
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