थमा होगा कोई थक कर किसी दौड़ से, शायद कोई आख़िरी किनारा ना होगा। आँखें मूँद कर बैठे हैं जो भी, उनके लिए बाकि अब कोई नज़ारा ना होगा। जीतने के बाद भूल जाये जो जमीं भी, ऐसा तो नहीं कि वो कभी हारा ना होगा। तसल्ली होगी नहीं कभी ज्यादा कमाने से, और अगर कमाये ही ना तो गुज़ारा ना होगा। जो डूबे हैं गम में और जिसमें महबूब हैं मुज़रिम, उन्हें ग़लती से भी इश्क़ दुबारा ना होगा। जो घूम रहे हैं अभी तक अपनों की तलाश में, उनके पास ख़ुद का कोई सहारा ना होगा। ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है मेरे दोस्त, यहाँ आपका चुप रहना भी गवारा ना होगा। खिल सकते थे वो सब मुरझाये हुए फूल, उनको तबियत से किसी ने कभी सँवारा ना होगा। मुट्ठी में भर लो चाहे जितने भी पत्थर या मोती, जब जाओगे यहाँ से तो कुछ तुम्हारा ना होगा। ज़िन्दगी है अभी यहीं इसी वक़्त, ये पल जो अभी है फिर दुबारा ना होगा। ©ShubhankarThinks
जैसा आपने पिछले पत्र में पढा था कि प्रेमिका रूठकर व्यंगपूर्ण पत्र लिखती है और जब यह पत्र उसके प्रेमी को मिलता है तो वो अपनी प्रेमिका को मनाने और भरोसा दिलाने के मकसद से पत्र का प्रेमपूर्ण जवाब लिखता है मगर मस्तिष्क में चलते गणित के कारण कैसे उसके विचार पत्र के माध्यम से निकलते हैं पढ़िए - IMG source - http://i.huffpost.com/gen/1178281/images/o-LETTER-TO-EX-facebook.jpg प्रेमी अपनी प्रेमिका से - प्रेमिका मेरी ओ प्राण प्यारी! तुम्हे एक पल हृदय से ना दूर किया है , तुम्हारा और मेरा संग तो रसायन विज्ञान में जल बनाने की प्रक्रिया है ! जैसे हाइड्रोजन नहीं छोड़ सकती ऑक्सीजन का संग, भगवान ने ऐसा रचा है ,हमारा प्रेम प्रसंग| दुविधा सुनो मेरा क्या हाल हुआ है, पूरा समय गति के समीकरणों में उलझ गया है ! कभी बल लगाकर पढ़ाई की दिशा में बढ़ता हूँ, कभी तुम्हारे प्रेम की क्रिया प्रतिक्रिया से पीछे तुम्हारी दिशा में खींचता हूँ| मेरे विचारों का पाई ग्राफ उलझ जाता है , ये Tan@ के मान की तरह कभी ऋणात्मक अनंत तो कभी धनात्मक अनंत तक जाता है ! मेरे ग्राफ रूपी जीवन में सारे मान अस्थिर हैं , मगर तुम्हर स्थान म
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