कुछ बन जाने में एक चुनाव है, जिसके बाद इंसान कुछ और नहीं बन पाता, मगर कुछ ना बनने में, सब कुछ बन जाने की संभावना होती है। #ShubhankarThinks
अगर व्यक्ति स्वयं को व्यवस्थित कर ले तो वह अपने जीवन की आधी समस्याएं समाप्त कर लेगा।
क्योंकि अब वह स्वयं कोई समस्या नहीं है,
बची हुई समस्या बाहरी हैं,
अगर सभी लोग उसके जैसे बन जाएं
तो बची हुई समस्या भी समाप्त हो जायेंगी।
अब ऐसे संसार में सभी लोग ऊब जाएंगे,
समय व्यतीत नहीं होगा तो अपने अपने सिर
दीवार में मारने लग जाएंगे।
कुछ लोग स्वयं को इस भौतिक संसार से
मुक्त होने के लिए करेंगे आत्म हत्या।
समस्याएं हैं तभी लोग जीवन के
मूल्य समझ रहे हैं
और उन्हें जीवित रहने का लालच है।
~ #ShubhankarThinks
क्योंकि अब वह स्वयं कोई समस्या नहीं है,
बची हुई समस्या बाहरी हैं,
अगर सभी लोग उसके जैसे बन जाएं
तो बची हुई समस्या भी समाप्त हो जायेंगी।
अब ऐसे संसार में सभी लोग ऊब जाएंगे,
समय व्यतीत नहीं होगा तो अपने अपने सिर
दीवार में मारने लग जाएंगे।
कुछ लोग स्वयं को इस भौतिक संसार से
मुक्त होने के लिए करेंगे आत्म हत्या।
समस्याएं हैं तभी लोग जीवन के
मूल्य समझ रहे हैं
और उन्हें जीवित रहने का लालच है।
~ #ShubhankarThinks
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