कुछ बन जाने में एक चुनाव है, जिसके बाद इंसान कुछ और नहीं बन पाता, मगर कुछ ना बनने में, सब कुछ बन जाने की संभावना होती है। #ShubhankarThinks
हम सब रेत कि तरह हैं,
जो वक़्त के साथ ढल कर कुछ भी बन जाते हैं।
और अगर कोई हवा का झोंका उसका आकार बिगाड़ गया
तो दुबारा पहले की तरह नहीं बन पाते,
हर बार किसी नई आकृति में ढल जाते हैं।
और जब किसी आकृति में ढलने कि अवस्था नहीं रह जाती
तो उड़ जाते हैं हवा के किसी झोंका के साथ ही।
हम सब रेत कि तरह हैं।
~#ShubhankarThinks
जो वक़्त के साथ ढल कर कुछ भी बन जाते हैं।
और अगर कोई हवा का झोंका उसका आकार बिगाड़ गया
तो दुबारा पहले की तरह नहीं बन पाते,
हर बार किसी नई आकृति में ढल जाते हैं।
और जब किसी आकृति में ढलने कि अवस्था नहीं रह जाती
तो उड़ जाते हैं हवा के किसी झोंका के साथ ही।
हम सब रेत कि तरह हैं।
~#ShubhankarThinks
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