कुछ बन जाने में एक चुनाव है, जिसके बाद इंसान कुछ और नहीं बन पाता, मगर कुछ ना बनने में, सब कुछ बन जाने की संभावना होती है। #ShubhankarThinks
रौनकें शहर में हुई हैं अच्छा ही हुआ,
कुछ खुशदिली भी होती तो क्या बात होती।
भर गया फोन मेरा लोगों के संदेशों से,
बधाइयां मिलकर देते सब तो क्या बात होती।
मोहल्ला चमक गया है पूरा बनावटी लाइट से,
उजाले मन में भी होते तो क्या बात होती।
घरों पर लद गए हैं फूल किलो की मात्रा में,
कुछ खूबसूरती दिलों में भी होती तो क्या बात होती।
मिठाई बांटी गई हैं खूब इस घर से उस घर तक,
कुछ मिठास रिश्तोें में भी लाते तो क्या बात होती।
पैसे बहाये गए हैं खूब अपने घर त्योहार मनाने में,
कुछ गरीबों को भी देते तो उनकी दीपावली होती।
Comments
Post a Comment
Please express your views Here!