प्रेम को जितना भी जाना गया वो बहुत कम जाना गया, प्रेम को किया कम लोगों ने और लिखा ज्यादा गया। ख़ुशी मिली तो लिख दिया बढ़ा चढ़ाकर, मिले ग़म तो बना दिया बीमारी बनाकर। किसी ने बेमन से ही लिख दी दो चार पंक्ति शौकिया तौर पर, कोई शुरुआत पर ही लिखता रहा डुबा डुबा कर। कुछ लगे लोग प्रेम करने ताकि लिखना सीख जाएं, फ़िर वो लिखने में इतने व्यस्त कि भूल गए उसे यथार्थ में उतारना! हैं बहुत कम लोग जो ना बोलते हैं, ना कुछ लिखते हैं उनके पास समय ही नहीं लिखने के लिए, वो डूबे हैं प्रेम में पूरे के पूरे। वो जानते हैं की यह लिखने जितना सरल विषय है ही नहीं इसलिए वो बिना समय व्यर्थ किए कर रहे हैं उस हर पल जीने की। उन्हें दिखाने बताने, समझाने जैसी औपचारिकता की आवश्यकता नहीं दिखती,वो ख़ुद पूरे के पूरे प्रमाण हैं, उनका एक एक अंश इतना पुलकित होगा कि संपर्क में आया प्रत्येक व्यक्ति उस उत्सव में शामिल हुए बिना नहीं रह पायेगा। वो चलते फिरते बस बांट रहे होंगे, रस ही रस। ~ #ShubhankarThinks
वैसे तो हर रोज आप एक जगह से दूसरी जगह यात्रा करते होंगे मगर कभी आपने खिड़की से बाहर हाथ निकालकर हवा को महसूस किया है। अगर आप बाइक पर पीछे बैठे हैं तो दोनों हाथ फैला कर हथेली को थोड़ा सिकोड़ कर हवा को कैद करके देख सकते हैं या फिर कार में हैं तो दोनों हाथ ना फैलायें कोई फ़ायदा नहीं है क्योंकि हाथ दूसरी खिड़की से निकालने के लिए कानून जितने लंबे हाथ चाहिए और ध्यान रहे कि रुकी हुई कार में ये स्टंट ना करें क्या पता कोई आपके हाथ पर सिक्का रख जाए, अगर बस में हैं तो भी एक ही हाथ बाहर निकालें और ध्यान रहे कि बगल वाली खिड़की पर कोई उल्टी तो नहीं कर रहा है। इतनी सावधानी और Terms and conditions apply करने के बाद मुख्य बात पर आते हैं कि जब आप हथेली थोड़ा सिकोड़ कर रखते हैं तो लगता है जैसे रिक्त स्थान में हवा भर गई है, वाहन जितना तेज होगा हवा उतने ही वेग से आयेगी और बदलती जायेगी और अंत में जब यात्रा समाप्त हो जाये तो आप मुठ्ठी बन्द कर लेना तब आपको पता चलेगा कि मुठ्ठी में कोई हवा नहीं है, आपके दोनों हाथ बिल्कुल खाली हैं। ठीक इसी प्रकार हम लोग भी दोनों हाथ खोलकर जिंदगी की रफ्तार को बढ़ाते जाते हैं कि ज्यादा