कभी कभी घिर जाते हैं हम गहरे किसी दलदल में, फँस जाते हैं जिंदगी के चक्के किसी कीचड़ में, तब जिंदगी चलती भी है तो रेंगकर, लगता है सब रुका हुआ सा। बेहोशी में लगता है सब सही है, पता नहीं रहता अपने होने का भी, तब बेहोशी हमें पता नहीं लगने देती कि होश पूरा जा चुका है। ठीक भी है बेहोशी ना हो तो पता कैसे लगाइएगा की होश में रहना क्या होता है, विपरीत से ही दूसरे विपरीत को प्रकाश मिलता है अन्यथा महत्व क्या रह जायेगा किसी भी बात का फिर तो सही भी ना रहेगा गलत भी ना रहेगा सब शून्य रहेगा। बेहोशी भी रूकती नहीं हमेशा के लिए कभी आते हैं ऐसे क्षण भी जब एक दम से यूटूर्न मार जाती है आपकी नियति, आपको लगता है जैसे आँधी आयी कोई और उसने सब साफ कर दिया, बेहोशी गिर गयी धड़ाम से जमीन पर, आपसे अलग होकर। अभी आप देख पा रहे हो बाहर की चीजें साफ साफ, आपको दिख रहा है कि बेहोशी में जो कुछ चल रहा था वो मेरे भीतर कभी नही चला। जो भी था सब बाहर की बात थी, मैं तो बस भूल गया था खुद को बेहोशी में, ध्यान ना रहा था कि सब जो चल रहा था कोई स्वप्न था। खैर जो भी था सही था, जैसी प्रभु की इच्छा, जब मन किया ध्यान में डुबो दिया जब मन कि
एक साल ख़त्म अब होने को,
कहीं आँख मूँदकर सोने!
नया साल शुरू अब होने को,
कुछ पाने को कुछ खोने को।
एक साल रेत सा फिसल गया,
वक़्त अच्छा बुरा सब निकल गया!
मगर कुछ बाकि रही बातें हैं,
कुछ अधूरे ख़्वाब, कुछ वादे हैं।
पूरे साल रही है उथल-पुथल
कुछ खट्टी मीठी यादें हैं।
एक साल रहा जैसे रण संग्राम,
चुनौती भरा, रही मुश्किलें तमाम!
एक साल नहीं रही वक़्त पर लगाम,
कब निकलता था दिन और कब ढ़लती थी शाम?
एक साल रिश्ते कुछ बनाये गये,
कुछ अपने बने तो कुछ पराये बने !
कुछ गैर थे जो खास बने,
कुछ पास थे जो गैर बने।
एक साल सबक, सीखों से भरा,
पूरा साल इम्तेहां सरीखे रहा!
ये साल बनेगा कभी यादगार,
की एक साल रहा था शानदार।
खैर नया साल अब आने को,
अनुभव कुछ नए दिलाने को !
कुछ रिश्ते नए बनवाने को,
कुछ तोड़ने को कुछ बनाने को,
कुछ खोने को कुछ पाने को!
एक साल नया अब आने को,
एक साल नया अब आने को।
~ #shubhankarthinks
#happynewyear2019
#newyear2019
कहीं आँख मूँदकर सोने!
नया साल शुरू अब होने को,
कुछ पाने को कुछ खोने को।
एक साल रेत सा फिसल गया,
वक़्त अच्छा बुरा सब निकल गया!
मगर कुछ बाकि रही बातें हैं,
कुछ अधूरे ख़्वाब, कुछ वादे हैं।
पूरे साल रही है उथल-पुथल
कुछ खट्टी मीठी यादें हैं।
एक साल रहा जैसे रण संग्राम,
चुनौती भरा, रही मुश्किलें तमाम!
एक साल नहीं रही वक़्त पर लगाम,
कब निकलता था दिन और कब ढ़लती थी शाम?
एक साल रिश्ते कुछ बनाये गये,
कुछ अपने बने तो कुछ पराये बने !
कुछ गैर थे जो खास बने,
कुछ पास थे जो गैर बने।
एक साल सबक, सीखों से भरा,
पूरा साल इम्तेहां सरीखे रहा!
ये साल बनेगा कभी यादगार,
की एक साल रहा था शानदार।
खैर नया साल अब आने को,
अनुभव कुछ नए दिलाने को !
कुछ रिश्ते नए बनवाने को,
कुछ तोड़ने को कुछ बनाने को,
कुछ खोने को कुछ पाने को!
एक साल नया अब आने को,
एक साल नया अब आने को।
#happynewyear2019
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