कुछ बन जाने में एक चुनाव है, जिसके बाद इंसान कुछ और नहीं बन पाता, मगर कुछ ना बनने में, सब कुछ बन जाने की संभावना होती है। #ShubhankarThinks
शराब पीने का मैं आदी नहीं था, मगर
तेरी आँखों की मयकशी, अब लत बन गयी है|
घुटन होती थी मुझे चादर ओढ़ने में, मगर
मखमली सा जिस्म ओढ़ना, आदत बन गयी है।
मैं था काफ़िर जो ना कभी दुआ पढ़ता था, मगर
तुझे होठों से छूना, अब इबादत बन गयी है|
मुझे ना खौफ़ है, मौत के आ जाने का,
तेरी धड़कनों की रफ़्तार, क़यामत बन गयी है।
तूफ़ान हल्का होता तो खुद में समेट लेता मगर
गर्म साँसे और सिसकियाँ आफ़त बन गयी हैं।
#ShubhankarThinks
Beautiful 💖
ReplyDeleteBeautiful ��
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