प्रेम को जितना भी जाना गया वो बहुत कम जाना गया, प्रेम को किया कम लोगों ने और लिखा ज्यादा गया। ख़ुशी मिली तो लिख दिया बढ़ा चढ़ाकर, मिले ग़म तो बना दिया बीमारी बनाकर। किसी ने बेमन से ही लिख दी दो चार पंक्ति शौकिया तौर पर, कोई शुरुआत पर ही लिखता रहा डुबा डुबा कर। कुछ लगे लोग प्रेम करने ताकि लिखना सीख जाएं, फ़िर वो लिखने में इतने व्यस्त कि भूल गए उसे यथार्थ में उतारना! हैं बहुत कम लोग जो ना बोलते हैं, ना कुछ लिखते हैं उनके पास समय ही नहीं लिखने के लिए, वो डूबे हैं प्रेम में पूरे के पूरे। वो जानते हैं की यह लिखने जितना सरल विषय है ही नहीं इसलिए वो बिना समय व्यर्थ किए कर रहे हैं उस हर पल जीने की। उन्हें दिखाने बताने, समझाने जैसी औपचारिकता की आवश्यकता नहीं दिखती,वो ख़ुद पूरे के पूरे प्रमाण हैं, उनका एक एक अंश इतना पुलकित होगा कि संपर्क में आया प्रत्येक व्यक्ति उस उत्सव में शामिल हुए बिना नहीं रह पायेगा। वो चलते फिरते बस बांट रहे होंगे, रस ही रस। ~ #ShubhankarThinks
जैसा आपने पिछले पत्र में पढा था कि प्रेमिका रूठकर व्यंगपूर्ण पत्र लिखती है और जब यह पत्र उसके प्रेमी को मिलता है तो वो अपनी प्रेमिका को मनाने और भरोसा दिलाने के मकसद से पत्र का प्रेमपूर्ण जवाब लिखता है मगर मस्तिष्क में चलते गणित के कारण कैसे उसके विचार पत्र के माध्यम से निकलते हैं पढ़िए - IMG source - http://i.huffpost.com/gen/1178281/images/o-LETTER-TO-EX-facebook.jpg प्रेमी अपनी प्रेमिका से - प्रेमिका मेरी ओ प्राण प्यारी! तुम्हे एक पल हृदय से ना दूर किया है , तुम्हारा और मेरा संग तो रसायन विज्ञान में जल बनाने की प्रक्रिया है ! जैसे हाइड्रोजन नहीं छोड़ सकती ऑक्सीजन का संग, भगवान ने ऐसा रचा है ,हमारा प्रेम प्रसंग| दुविधा सुनो मेरा क्या हाल हुआ है, पूरा समय गति के समीकरणों में उलझ गया है ! कभी बल लगाकर पढ़ाई की दिशा में बढ़ता हूँ, कभी तुम्हारे प्रेम की क्रिया प्रतिक्रिया से पीछे तुम्हारी दिशा में खींचता हूँ| मेरे विचारों का पाई ग्राफ उलझ जाता है , ये Tan@ के मान की तरह कभी ऋणात्मक अनंत तो कभी धनात्मक अनंत तक जाता है ! मेरे ग्राफ रूपी जीवन में सारे मान अस्थिर हैं , मगर तुम्हर स्थान म
jo karmath hote hain wakt bhi imtihaan usi ka leta hai,
ReplyDeletekayar aur karmhin imtihaan kya jaane.
Sundar panktiyan.
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