प्रेम को जितना भी जाना गया वो बहुत कम जाना गया, प्रेम को किया कम लोगों ने और लिखा ज्यादा गया। ख़ुशी मिली तो लिख दिया बढ़ा चढ़ाकर, मिले ग़म तो बना दिया बीमारी बनाकर। किसी ने बेमन से ही लिख दी दो चार पंक्ति शौकिया तौर पर, कोई शुरुआत पर ही लिखता रहा डुबा डुबा कर। कुछ लगे लोग प्रेम करने ताकि लिखना सीख जाएं, फ़िर वो लिखने में इतने व्यस्त कि भूल गए उसे यथार्थ में उतारना! हैं बहुत कम लोग जो ना बोलते हैं, ना कुछ लिखते हैं उनके पास समय ही नहीं लिखने के लिए, वो डूबे हैं प्रेम में पूरे के पूरे। वो जानते हैं की यह लिखने जितना सरल विषय है ही नहीं इसलिए वो बिना समय व्यर्थ किए कर रहे हैं उस हर पल जीने की। उन्हें दिखाने बताने, समझाने जैसी औपचारिकता की आवश्यकता नहीं दिखती,वो ख़ुद पूरे के पूरे प्रमाण हैं, उनका एक एक अंश इतना पुलकित होगा कि संपर्क में आया प्रत्येक व्यक्ति उस उत्सव में शामिल हुए बिना नहीं रह पायेगा। वो चलते फिरते बस बांट रहे होंगे, रस ही रस। ~ #ShubhankarThinks
राह में पैर फिसल गया तो क्या हुआ?
अगर एक बार
बिना सहारे के उठा तो क्या बात होगी|
राह-ए- मंज़िल नहीं है आसान तो क्या हुआ?
अगर एक बार आगे निकल गया तो फिर क्या बात होगी|
रोड़े पड़े हैं राहों में तेरे तो क्या हुआ?
गिर गिर के हर बार उठा तो फिर क्या बात होगी|
हौसले टूटते हैं कठिनाइयों में तो क्या हुआ?
अगर एक बार फिर से तूने हिम्मत जुटा ली तो क्या बात होगी|
नाकाम हुआ हर बार की तू राहों में तो क्या हुआ?
तू ध्यान कोशिश में लगा फिर देख क्या बात होगी|
अकेले पार नहीं कर पाते सब मुश्किलों की डगर को!
तो क्या हुआ?
अगर तूने एक बार पार किया तो फिर देख क्या बात होगी|
अगर एक बार
बिना सहारे के उठा तो क्या बात होगी|
राह-ए- मंज़िल नहीं है आसान तो क्या हुआ?
अगर एक बार आगे निकल गया तो फिर क्या बात होगी|
रोड़े पड़े हैं राहों में तेरे तो क्या हुआ?
गिर गिर के हर बार उठा तो फिर क्या बात होगी|
हौसले टूटते हैं कठिनाइयों में तो क्या हुआ?
अगर एक बार फिर से तूने हिम्मत जुटा ली तो क्या बात होगी|
नाकाम हुआ हर बार की तू राहों में तो क्या हुआ?
तू ध्यान कोशिश में लगा फिर देख क्या बात होगी|
अकेले पार नहीं कर पाते सब मुश्किलों की डगर को!
तो क्या हुआ?
अगर तूने एक बार पार किया तो फिर देख क्या बात होगी|
गिरकर सम्हलने का नाम जिंदगी,
ReplyDeleteआ हिम्मत जुटा,
मुश्किल से लड़ना ही काम जिंदगी,
राह अपनी बना
खूबसूरत कविता।।
Sahi kaha apne bahut log hamare pass hote hai parfirr bhi hame apne aage ki ladai khud hi ladni Padti hai aur aage akele hi badhna padta hai.
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