कुछ बन जाने में एक चुनाव है, जिसके बाद इंसान कुछ और नहीं बन पाता, मगर कुछ ना बनने में, सब कुछ बन जाने की संभावना होती है। #ShubhankarThinks
प्रभात में उमंग है,
वायु भी स्वतंत्र है,
आज उत्सव के आयोजन में
वातावरण स्वच्छंद है।
चारों दिशाएं गुंजाल हैं,
प्रकृति का भी संग है।
सागर की प्रसन्नता तो देखो,
कितनी विशाल तरंग है!
गगन भी है झूमता
आज श्वेत स्वच्छ रंग है।
केसरी - से रंग में
प्रकाश की किरण लिये
सूर्यदेव उदय हुए
अंधकार का हरण किये।
वो देखो वन्य जीव को
उत्सव के आयोजन में रत
हर एक सजीव को
मधुर - मधुर ध्वनि से पूर्ण
आयोजकों के गीत को।
सोलह श्रृंगार धरे
धरा आज चमक उठी
देशभक्ति स्वरों की ध्वनि
कलरव - सी चहक उठी।
आकर्षण का केन्द्र तो
वो हरित उद्यान है।
पुष्प जहां पर खिल रहें
और भंवरे चलायमान हैं।
मां भारती की देन है सब
मां भारती महान है।
मां भारती की ममता से
समस्त भारत में धन - धान्य है।
IMG
यह कविता मैंने सही एक साल पहले 25 जनवरी को लिखी थी और किसी कारणवश इसे 26 जनवरी के पवन अवसर पर पब्लिश नहीं कर पाया था ,मगर आज वह मौका फिर से मिला है| अपनी प्रतिक्रियायें देना नहीं भूलें, आप सभी को गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनायें|
वायु भी स्वतंत्र है,
आज उत्सव के आयोजन में
वातावरण स्वच्छंद है।
चारों दिशाएं गुंजाल हैं,
प्रकृति का भी संग है।
सागर की प्रसन्नता तो देखो,
कितनी विशाल तरंग है!
गगन भी है झूमता
आज श्वेत स्वच्छ रंग है।
केसरी - से रंग में
प्रकाश की किरण लिये
सूर्यदेव उदय हुए
अंधकार का हरण किये।
वो देखो वन्य जीव को
उत्सव के आयोजन में रत
हर एक सजीव को
मधुर - मधुर ध्वनि से पूर्ण
आयोजकों के गीत को।
सोलह श्रृंगार धरे
धरा आज चमक उठी
देशभक्ति स्वरों की ध्वनि
कलरव - सी चहक उठी।
आकर्षण का केन्द्र तो
वो हरित उद्यान है।
पुष्प जहां पर खिल रहें
और भंवरे चलायमान हैं।
मां भारती की देन है सब
मां भारती महान है।
मां भारती की ममता से
समस्त भारत में धन - धान्य है।
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यह कविता मैंने सही एक साल पहले 25 जनवरी को लिखी थी और किसी कारणवश इसे 26 जनवरी के पवन अवसर पर पब्लिश नहीं कर पाया था ,मगर आज वह मौका फिर से मिला है| अपनी प्रतिक्रियायें देना नहीं भूलें, आप सभी को गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनायें|
Beautiful poem, Shubhankar. Dil khush ho gaya ise padh ke
ReplyDeleteKhubsurat kavita....Jai Hind.
ReplyDeleteNice….Jay Hind….🇮🇳
ReplyDeleteDhanyawad
ReplyDeleteJai hind
Dhanyawad sir
ReplyDeleteApko gantantra diwas ki badhai
Apka bhut dhanyawad didi
ReplyDeleteMujhe khushi hui ki apko yah pasand ayi
Apko bhi Gantantra Divas ki hardik shubhkamnaayen.
ReplyDeleteJi jaan. Especially after the debacle of two days ago, this fills the heart with hope.
ReplyDeleteBeautiful poetry
ReplyDeleteJai Hind