कभी कभी घिर जाते हैं हम गहरे किसी दलदल में, फँस जाते हैं जिंदगी के चक्के किसी कीचड़ में, तब जिंदगी चलती भी है तो रेंगकर, लगता है सब रुका हुआ सा। बेहोशी में लगता है सब सही है, पता नहीं रहता अपने होने का भी, तब बेहोशी हमें पता नहीं लगने देती कि होश पूरा जा चुका है। ठीक भी है बेहोशी ना हो तो पता कैसे लगाइएगा की होश में रहना क्या होता है, विपरीत से ही दूसरे विपरीत को प्रकाश मिलता है अन्यथा महत्व क्या रह जायेगा किसी भी बात का फिर तो सही भी ना रहेगा गलत भी ना रहेगा सब शून्य रहेगा। बेहोशी भी रूकती नहीं हमेशा के लिए कभी आते हैं ऐसे क्षण भी जब एक दम से यूटूर्न मार जाती है आपकी नियति, आपको लगता है जैसे आँधी आयी कोई और उसने सब साफ कर दिया, बेहोशी गिर गयी धड़ाम से जमीन पर, आपसे अलग होकर। अभी आप देख पा रहे हो बाहर की चीजें साफ साफ, आपको दिख रहा है कि बेहोशी में जो कुछ चल रहा था वो मेरे भीतर कभी नही चला। जो भी था सब बाहर की बात थी, मैं तो बस भूल गया था खुद को बेहोशी में, ध्यान ना रहा था कि सब जो चल रहा था कोई स्वप्न था। खैर जो भी था सही था, जैसी प्रभु की इच्छा, जब मन किया ध्यान में डुबो दिया जब मन कि
नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप सभी लोग, आशा है सभी अच्छे से अपने कार्य में व्यस्त हैं और अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं| काफी कुछ बातें मेरे दिमाग में चल रही हैं, इस पोस्ट में वो सभी बातें बताने की कोशिश करूंगा| अगर आपके पास थोड़ा समय खाली है तो ही पढ़ने की शुरुआत करें क्योंकि मुझे नहीं पता आज कितनी लम्बी बातें होंगी| अपनी स्वाभाविक भाषा के माध्यम से में शुरुआत करूंगा तो जरूरी नहीं यह कोई कविता होगी या फिर एक लेख अथवा कोई पत्र| Life Style Blog मेरे द्वारा कलम को सभी दिशाओं में मोड़ा जायेगा, पाठकों से निवेदन है की इसे किसी भी धर्म से नहीं जोड़ा जायेगा | भावनायें मैं प्रखर और स्पष्ट लिखूंगा, इसलिए यह सभी मेरे निजी विचार रहेंगे! मैंने पक्षपात किया तो यह आपकी नैतिक जिम्मेदारी रहेगी की आप पढ़ने के बाद बेधड़क सवाल करेंगे| जैसा की हम सभी जानते ही हैं की भारत पिछले 100-200 वर्षों से सभी धर्मों के मेलजोल और मिलती जुलती सभ्यता का केंद्र रहा है| आजादी के बाद का माहौल कुछ अलग ही तरह से बदला है, देश के हिस्से तो कटे ही साथ ही साथ नफरत की एक नई फसल बढ़ी थी| मगर वक़्त की गाड़ी में सब कुछ बदला तब से लेकर आज तक अनेकों