जैसे किसी बाग में पौधों पर फूल ना खिल सकें तो हवा, पानी, खाद, बीज कई कारण हो सकते हैं परंतु इन सबमें से मुख्य कारण माली का सजग ना होना माना जायेगा, ऐसे ही अगर किसी बच्चे के चेहरे पर अगर फूल ना खिल रहे हों, उसके भीतर से ऊर्जा उछाल नहीं मार रही तो इसका पूरा दोष माता पिता को दिया जाना चाहिए। ~ #ShubhankarThinks
वो दानपात्र में लाखों चढ़ा आया मंदिर में जाकर,
बस माँ के लिए सर्दी में जूते लाना शायद वो भूल गया था|
वो मंदिर में जाके घंटो जय माँ जय माँ रटता चला गया,
बस वो अपनी घर में बैठी बूढ़ी माँ को एक बार माँ कहना भूल गया।
वो मंदिर में जाके घंटो जय माँ जय माँ रटता चला गया,
बस वो अपनी घर में बैठी बूढ़ी माँ को एक बार माँ कहना भूल गया।
कल तक जो उसकी खुशी के लिए
पैसे को पानी की तरह बहाती थी,
आज वो कामयाब लड़का
माँ के पैसों का भी हिसाब
लगाना सीख गया है|
कल तक जिन्होंने ने अपने अरमानों को हल्के में लेके,
उसके ख्वाइशों को सराखों पर रखा था!
आज उस कामयाब लड़के को,
उनकी साँसे भी बोझिल हो गईं हैं|
वो चाहती रही,
अपने बेटे को दिल-ओ - जान की तरह,
जो नजरों से उसके ना कभी ओझल रहा!
आज
वो अपनी महबूबा के लिए
उसका घर को सुनसान कर गया|

वो लाड करती रही जिस बेटे को
जैसे भक्ति भगवान की तरह,
छोड़ आया वो उसे वृद्धाश्रम!
जैसे किसी अनजान की तरह|
जिस बेटे को कभी आँचल में दूध पिलाया था,
दुनिया के कष्टों को भी हँसते हँसते उठाया था!
अनजान थी वो इस बात से कल क्या होने वाला है,
नहीं जानती थी बेटे की शक्ल में साँप को उसने पाला है|
CONTENT CREDIT- कभी कभी दो तीन लोगों की आपसी चर्चा से एक बहुत अच्छा सन्देश निकलता है, आज की कविता के लिए मैं हर्षिता यादव और राकेश सिंह जी को बहुत धन्यवाद देना चाहूँगा, जिन्होंने इसे कविता का रूप देने की संकल्पना की!
आप दोनों का YOURQUOTE पर फॉलो कर सकते हैं-
हर्षिता यादव
राकेश सिंह जी
एवम राकेश जी ने नया ब्लॉग बनाया है आप उनके साथ यहाँ भी जुड़ सकते हैं|
Wonderful
ReplyDeleteBhut dhanyvaad apka
ReplyDeleteThank you shubhankar ji aapne mujhe mention kiya
ReplyDeleteAnd aane bhut hi khubsurti ke sath collaboration ko ek poem ka roop diya hai bhut khub
जी धन्यवाद आपका
ReplyDeleteआपका स्वागत है हमेशा
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