कभी कभी घिर जाते हैं हम गहरे किसी दलदल में, फँस जाते हैं जिंदगी के चक्के किसी कीचड़ में, तब जिंदगी चलती भी है तो रेंगकर, लगता है सब रुका हुआ सा। बेहोशी में लगता है सब सही है, पता नहीं रहता अपने होने का भी, तब बेहोशी हमें पता नहीं लगने देती कि होश पूरा जा चुका है। ठीक भी है बेहोशी ना हो तो पता कैसे लगाइएगा की होश में रहना क्या होता है, विपरीत से ही दूसरे विपरीत को प्रकाश मिलता है अन्यथा महत्व क्या रह जायेगा किसी भी बात का फिर तो सही भी ना रहेगा गलत भी ना रहेगा सब शून्य रहेगा। बेहोशी भी रूकती नहीं हमेशा के लिए कभी आते हैं ऐसे क्षण भी जब एक दम से यूटूर्न मार जाती है आपकी नियति, आपको लगता है जैसे आँधी आयी कोई और उसने सब साफ कर दिया, बेहोशी गिर गयी धड़ाम से जमीन पर, आपसे अलग होकर। अभी आप देख पा रहे हो बाहर की चीजें साफ साफ, आपको दिख रहा है कि बेहोशी में जो कुछ चल रहा था वो मेरे भीतर कभी नही चला। जो भी था सब बाहर की बात थी, मैं तो बस भूल गया था खुद को बेहोशी में, ध्यान ना रहा था कि सब जो चल रहा था कोई स्वप्न था। खैर जो भी था सही था, जैसी प्रभु की इच्छा, जब मन किया ध्यान में डुबो दिया जब मन कि
नमस्कार कैसे हैं आप सभी लोग? आशा है सभी अच्छे से अपनी जिन्दगी में कुशल-मंगल होंगे, आज के ब्लॉग की अगर मैं बात करूँ आज विषय है दिल्ली के प्रदूषण का, जैसा की किसी भी ब्लॉग के पीछे उद्देश्य होता है, वैसा आज कुछ भी नहीं है, मैं शीर्षक सोचे बिना शुरू करने जा रहा हूँ|
जैसा की आप सभी को पता होगा, २०१६ जैसा ग्रेट स्मोग देश की राजधानी दिल्ली में फिर से आ गया है, जिसका मुख्य कारण हरियाणा और पंजाब में धान की फसल से निकले भूसे को जलाना बताया जाता है और उसका प्रभाव प्रत्येक वर्ष इसी तरह होता है मगर इस बार स्थिति भयावह बन गयी है, पिछले ३-४ दिनों से लगातार धुंध छाया हुआ है, जो थमने का नाम नहीं ले रहा और इसके दुष्प्रभाव से सम्पूर्ण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, दिल्ली एनसीआर के सभी स्कूल में सोमवार तक का अवकाश घोषित कर दिया है| खैर यह सारी खबरें आप लगातार टेलीविज़न पर देख रहे होंगे तो मैं अब अपने विचार प्रस्तुत करना चाहूँगा|
सबसे पहले अगर हम बात करें की दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
प्रदूषण के मुख्य कारण - दिल्ली पूरे भारत में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर होने के साथ साथ विश्व के १० सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में अपना स्थान रखता है जिसके बारे में मैंने पूरा एक ब्लॉग पहले भी लिखा था जिसे आप पढ़ सकते हैं|
कारणों की बात करें तो -
१-वाहनों से होने वाला प्रदूषण ही दिल्ली में ७० प्रतिशत योगदान देता है|
२- इंडस्ट्रियल एरिया से निकलने वाले धुँए और अपशिष्ट पदार्थ(wastage)
३- एयर कंडीशन से निकलने वाला हानिकारक उत्सर्जन|
४ - जनसंख्या विस्फोट की स्थिति(over populated)
इन सभी के बारे में मैंने अपने पहले ब्लॉग में विस्तार से आंकड़ों के साथ लिखा है आप वहाँ जाकर पढ़ सकते हैं|
अब बात आती है मेरे सवालों की और मन में जो गुबार भरा है वो निकालने की ,
तो सबसे पहले मैं शुरू करता हूँ, वर्तमान स्थिति से, जो अलग अलग लोगों से सवाल करती है?
सुप्रीम कोर्ट का क्रैकर बैन निर्णय- यह निर्णय सिर्फ नवम्बर के लिए लिया गया था ताकि दीवाली पर लोग पठाखे ना जलायें और प्रदूषण पर काबू पाया जा सके, मेरा सवाल यह की क्या सुप्रीम पूरे १० साल के लिए यह निर्णय नहीं ले सकता है| आखिर यह देश के एक शहर में फैलते घातक प्रदूषण का है तो सुप्रीम कोर्ट को सख्त निर्णय क्यों नहीं लेने चाहिए|

दूसरा सवाल है,सरकार से - दिल्ली में केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें जनता ने बहुमत से जितायी हैं और दोनों ही पिछले तीन साल से लगातार कार्य कर रहीं हैं, तो मेरा सवाल यह है, की क्या किसी भी सरकार की यह जिम्मेदारी नहीं बनती की वो कठोर कानून लायें वाहनों की बिक्री को लेकर क्योंकि दिल्ली में ७ मिलियन वाहन चलते हैं, जो संख्या प्रतिदिन १४०० बढ़ जाती है, तो क्या सरकार ये निर्णय मनमानी से नहीं कर सकती, की दिल्ली में वाहन खरीदने से पहले अनुमति लेनी होगी| साथ ही साथ एक परिवार एक नियंत्रित संख्या में वाहन खरीद सकता है|

अब बात करते हैं दिल्ली के शिक्षित नागरिकों की- दिल्ली को उत्तर प्रदेश और बिहार से ज्यादा साक्षरता वाला प्रदेश माना जाता है, देश के हर कोने से पढ़े यहां रहते हैं और सारे फैशन ट्रेंड सब कुछ यहाँ पाश्चात्य देशों से तुरंत कॉपी किया जाता है| मगर उनसे कभी यह नहीं सीखा की बिना कार में घूमे भी आप अमीर कहला सकते हो, गर्लफ्रेंड घुमाने के लिए कार खरीदना जरूरी नहीं है| आप कॉलेज के छात्र हो या फिर किसी मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते हो तो आपको इतनी समझ होनी चाहिए, यह शहर आपका है तो कठिन परिस्थिति में आप अगर थोड़ा अपने आधुनिक संसाधन पूर्ण जीवन से दो चार संसाधन कम करके एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं तो आप ऐसा करिये| आप सीखिए पश्चिमी देशों से जहाँ साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है, जहाँ ग्रीन एवोलुशन के लिए लोग साइकिल से चलने में शर्म महसूस नहीं करते|

खैर यह सभी शिकायतें मेरी लोगों से थी, मुझे पता है, इससे कोई समाधान तो होगा नहीं ना ही लोग किसी की बात मानते फिर भी मै अपने सुझाव रखना चाहूंगा-
१- वाहनों की अंधाधुंध बिक्री पर रोक लगनी चाहिए साथ ही साथ पेट्रोल डीज़ल के वहान कोई भी कंपनी दिल्ली में ना बेचे ऐसा कठोर कानून लाना चाहिए जिससे भविष्य में सभी ऑटोमोबाइल कंपनी सीएनजी वाहन लाना स्वयं शुरू कर देंगी| किसी महान वैज्ञानिक ने कहा है की "आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है" मतलब जब पेट्रोल डीज़ल के वाहन बंद होंगे लोग खुद ही उसका उपाय खोज निकलेंगे और शोध संस्थानों को बढ़ावा मिलेगा|
२- ऑड इवन फार्मूला अगले ५ या फिर १० वर्षों के लिए लागू कर देना चाहिए- आखिर सवाल देश की राजधानी के वजूद का है तो लोगों को भी सहयोग करना चाहिए ताकि दिल्ली को बेहतर बनाया जा सके और आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रहे|
३- इंडस्ट्रियल एरिया को निर्देश जायें की अपशिष्ट पदार्थ को दिल्ली से बहार ले जाकर वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाये|
४-सभी लोगों को प्रण लेना चाहिए की वो महीने में एक दिन घर, दुकानों और कंपनी में एयर कंडीशन बंद रखेंगे दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए और सभी सरकारी अफसरों और स्वयं सरकार को भी इस नियम का पालन करना चाहिए|
५- युवा वर्ग से मेरा अनुरोध है आप दिन में २० सिगरेट अगर नहीं पीएंगे तो भी वो कुछ हद तक प्रदूषण को कम करने में योगदान देगा, क्योंकि छोटी छोटी पहल ही बड़ा बदलाव लाती हैं | मुझे अच्छे से पता है, आप लोगों को मौत से डर नहीं लगता इसलिए आप चरस,गांजा पीने से नहीं हिचकिचाते, यहां तक की दिल्ली की लड़कियां भी लड़कों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर कश लगाती हैं| महिला सशक्तिकरण अच्छी बात हैं सभी को सामान अधिकार प्राप्त हैं इसलिए मेरा दोनों ही वर्गों से निवेदन है, कम से कम अपने लिए ना सही तो मेरे लिए और मेरे जैसे बाकि लोगों के लिए, जिन्हे लम्बे समय तक जीने की हार्दिक इच्छा है, के लिए सिगरेट पीना कम कर दो|

खैर यह सभी बातें मुझे परेशान कर रहीं थीं तो सोचा आप सभी के साथ शेयर करूँ, अगर आप अभी भी पढ़ रहे हैं तो कमेंट करके विचार बताएं की दिल्ली के प्रदूषण को लेकर आपके क्या उपाय हैं या फिर विचार हैं ?
धन्यवाद|
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जैसा की आप सभी को पता होगा, २०१६ जैसा ग्रेट स्मोग देश की राजधानी दिल्ली में फिर से आ गया है, जिसका मुख्य कारण हरियाणा और पंजाब में धान की फसल से निकले भूसे को जलाना बताया जाता है और उसका प्रभाव प्रत्येक वर्ष इसी तरह होता है मगर इस बार स्थिति भयावह बन गयी है, पिछले ३-४ दिनों से लगातार धुंध छाया हुआ है, जो थमने का नाम नहीं ले रहा और इसके दुष्प्रभाव से सम्पूर्ण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, दिल्ली एनसीआर के सभी स्कूल में सोमवार तक का अवकाश घोषित कर दिया है| खैर यह सारी खबरें आप लगातार टेलीविज़न पर देख रहे होंगे तो मैं अब अपने विचार प्रस्तुत करना चाहूँगा|
सबसे पहले अगर हम बात करें की दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
प्रदूषण के मुख्य कारण - दिल्ली पूरे भारत में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर होने के साथ साथ विश्व के १० सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में अपना स्थान रखता है जिसके बारे में मैंने पूरा एक ब्लॉग पहले भी लिखा था जिसे आप पढ़ सकते हैं|
कारणों की बात करें तो -
१-वाहनों से होने वाला प्रदूषण ही दिल्ली में ७० प्रतिशत योगदान देता है|
२- इंडस्ट्रियल एरिया से निकलने वाले धुँए और अपशिष्ट पदार्थ(wastage)
३- एयर कंडीशन से निकलने वाला हानिकारक उत्सर्जन|
४ - जनसंख्या विस्फोट की स्थिति(over populated)
इन सभी के बारे में मैंने अपने पहले ब्लॉग में विस्तार से आंकड़ों के साथ लिखा है आप वहाँ जाकर पढ़ सकते हैं|
अब बात आती है मेरे सवालों की और मन में जो गुबार भरा है वो निकालने की ,
तो सबसे पहले मैं शुरू करता हूँ, वर्तमान स्थिति से, जो अलग अलग लोगों से सवाल करती है?
सुप्रीम कोर्ट का क्रैकर बैन निर्णय- यह निर्णय सिर्फ नवम्बर के लिए लिया गया था ताकि दीवाली पर लोग पठाखे ना जलायें और प्रदूषण पर काबू पाया जा सके, मेरा सवाल यह की क्या सुप्रीम पूरे १० साल के लिए यह निर्णय नहीं ले सकता है| आखिर यह देश के एक शहर में फैलते घातक प्रदूषण का है तो सुप्रीम कोर्ट को सख्त निर्णय क्यों नहीं लेने चाहिए|
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दूसरा सवाल है,सरकार से - दिल्ली में केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें जनता ने बहुमत से जितायी हैं और दोनों ही पिछले तीन साल से लगातार कार्य कर रहीं हैं, तो मेरा सवाल यह है, की क्या किसी भी सरकार की यह जिम्मेदारी नहीं बनती की वो कठोर कानून लायें वाहनों की बिक्री को लेकर क्योंकि दिल्ली में ७ मिलियन वाहन चलते हैं, जो संख्या प्रतिदिन १४०० बढ़ जाती है, तो क्या सरकार ये निर्णय मनमानी से नहीं कर सकती, की दिल्ली में वाहन खरीदने से पहले अनुमति लेनी होगी| साथ ही साथ एक परिवार एक नियंत्रित संख्या में वाहन खरीद सकता है|
अब बात करते हैं दिल्ली के शिक्षित नागरिकों की- दिल्ली को उत्तर प्रदेश और बिहार से ज्यादा साक्षरता वाला प्रदेश माना जाता है, देश के हर कोने से पढ़े यहां रहते हैं और सारे फैशन ट्रेंड सब कुछ यहाँ पाश्चात्य देशों से तुरंत कॉपी किया जाता है| मगर उनसे कभी यह नहीं सीखा की बिना कार में घूमे भी आप अमीर कहला सकते हो, गर्लफ्रेंड घुमाने के लिए कार खरीदना जरूरी नहीं है| आप कॉलेज के छात्र हो या फिर किसी मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते हो तो आपको इतनी समझ होनी चाहिए, यह शहर आपका है तो कठिन परिस्थिति में आप अगर थोड़ा अपने आधुनिक संसाधन पूर्ण जीवन से दो चार संसाधन कम करके एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं तो आप ऐसा करिये| आप सीखिए पश्चिमी देशों से जहाँ साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है, जहाँ ग्रीन एवोलुशन के लिए लोग साइकिल से चलने में शर्म महसूस नहीं करते|
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२- ऑड इवन फार्मूला अगले ५ या फिर १० वर्षों के लिए लागू कर देना चाहिए- आखिर सवाल देश की राजधानी के वजूद का है तो लोगों को भी सहयोग करना चाहिए ताकि दिल्ली को बेहतर बनाया जा सके और आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रहे|
३- इंडस्ट्रियल एरिया को निर्देश जायें की अपशिष्ट पदार्थ को दिल्ली से बहार ले जाकर वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाये|
४-सभी लोगों को प्रण लेना चाहिए की वो महीने में एक दिन घर, दुकानों और कंपनी में एयर कंडीशन बंद रखेंगे दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए और सभी सरकारी अफसरों और स्वयं सरकार को भी इस नियम का पालन करना चाहिए|
५- युवा वर्ग से मेरा अनुरोध है आप दिन में २० सिगरेट अगर नहीं पीएंगे तो भी वो कुछ हद तक प्रदूषण को कम करने में योगदान देगा, क्योंकि छोटी छोटी पहल ही बड़ा बदलाव लाती हैं | मुझे अच्छे से पता है, आप लोगों को मौत से डर नहीं लगता इसलिए आप चरस,गांजा पीने से नहीं हिचकिचाते, यहां तक की दिल्ली की लड़कियां भी लड़कों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर कश लगाती हैं| महिला सशक्तिकरण अच्छी बात हैं सभी को सामान अधिकार प्राप्त हैं इसलिए मेरा दोनों ही वर्गों से निवेदन है, कम से कम अपने लिए ना सही तो मेरे लिए और मेरे जैसे बाकि लोगों के लिए, जिन्हे लम्बे समय तक जीने की हार्दिक इच्छा है, के लिए सिगरेट पीना कम कर दो|
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धन्यवाद|
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