कभी कभी घिर जाते हैं हम गहरे किसी दलदल में, फँस जाते हैं जिंदगी के चक्के किसी कीचड़ में, तब जिंदगी चलती भी है तो रेंगकर, लगता है सब रुका हुआ सा। बेहोशी में लगता है सब सही है, पता नहीं रहता अपने होने का भी, तब बेहोशी हमें पता नहीं लगने देती कि होश पूरा जा चुका है। ठीक भी है बेहोशी ना हो तो पता कैसे लगाइएगा की होश में रहना क्या होता है, विपरीत से ही दूसरे विपरीत को प्रकाश मिलता है अन्यथा महत्व क्या रह जायेगा किसी भी बात का फिर तो सही भी ना रहेगा गलत भी ना रहेगा सब शून्य रहेगा। बेहोशी भी रूकती नहीं हमेशा के लिए कभी आते हैं ऐसे क्षण भी जब एक दम से यूटूर्न मार जाती है आपकी नियति, आपको लगता है जैसे आँधी आयी कोई और उसने सब साफ कर दिया, बेहोशी गिर गयी धड़ाम से जमीन पर, आपसे अलग होकर। अभी आप देख पा रहे हो बाहर की चीजें साफ साफ, आपको दिख रहा है कि बेहोशी में जो कुछ चल रहा था वो मेरे भीतर कभी नही चला। जो भी था सब बाहर की बात थी, मैं तो बस भूल गया था खुद को बेहोशी में, ध्यान ना रहा था कि सब जो चल रहा था कोई स्वप्न था। खैर जो भी था सही था, जैसी प्रभु की इच्छा, जब मन किया ध्यान में डुबो दिया जब मन कि
सपने क्या होते हैं?
अगर शाम ढले बेफ़िक्र होकर ,
लजीज़ खाना खाकर,
पंखा कूलर या फिर ऐसी की ठंडी हवा में ,
मख़मली से आराम गद्दों पर,
बड़े चैन की नींद सो जाते हो आप!
तो क्या खाक सपने देखोगे आप?
सपने वो होते हैं जो रातों की नींदें उड़ा दें,
चैन सुकून को तुम्हारा दुश्मन बता दें,
और इस शांत से दिमाग में कोलाहल मचा दें|
सपने वो नहीं जिन्हें सुबह आंखें खुलते ही भूल जाओ,
सपने वो हैं जिन्हें रात को आंखें मूँदने के बाद भी ना भूल पाओ!

Pic credit - https://pixabay.com/photo-2037255/
सपने वो नहीं जिसमें ऐश- ओ -आराम हो,
मस्त सी जिंदगी चले परेशानी का कोई नाम ना हो !
सपने वो हैं जिसमें आराम हराम हो,
तुम इन रफ्तार रोकने वाली रातों से भी परेशान हो|
वो सपने भी क्या सपने हुए?
जो बड़ी आसानी से मिल जाएं,
करना कुछ भी पड़े नहीं और सब कुछ बना बनाया मिल जाये !
सपने तो वो हैं जो पग पग पर तुम्हें सताएं,
चुनौतियों से तुम्हें और मजबूत बनाएं|
सपने देखो मगर देखभाल के देखो,
कुछ अपने भीतर खंगाल के देखो!
फिर मिल जायेंगे वो सपने तुम्हें भी,
जो आंखों से तुम्हारी नींदें छीन लेंगे|
© Confused Thoughts
- Shubhankar
कैसे हो आप सभी लोग ?
अब ब्लॉग पर आना काफी कम हो गया है मेरा फिर भी मेरी कोशिश रहती है कि आप सभी के पोस्ट ज्यादा से ज्यादा पढूँ , अगर फिर भी भूलवश कोई ब्लॉग छूट जाता है तो आप कमेंट में मुझे याद दिला सकते हैं ताकि मैं आपकी मूल्यवान रचनाएं पढ़ने से वंचित ना रह जाऊं!
धन्यवाद !
नमस्कार,प्रणाम !
अगर शाम ढले बेफ़िक्र होकर ,
लजीज़ खाना खाकर,
पंखा कूलर या फिर ऐसी की ठंडी हवा में ,
मख़मली से आराम गद्दों पर,
बड़े चैन की नींद सो जाते हो आप!
तो क्या खाक सपने देखोगे आप?
सपने वो होते हैं जो रातों की नींदें उड़ा दें,
चैन सुकून को तुम्हारा दुश्मन बता दें,
और इस शांत से दिमाग में कोलाहल मचा दें|
सपने वो नहीं जिन्हें सुबह आंखें खुलते ही भूल जाओ,
सपने वो हैं जिन्हें रात को आंखें मूँदने के बाद भी ना भूल पाओ!
Pic credit - https://pixabay.com/photo-2037255/
सपने वो नहीं जिसमें ऐश- ओ -आराम हो,
मस्त सी जिंदगी चले परेशानी का कोई नाम ना हो !
सपने वो हैं जिसमें आराम हराम हो,
तुम इन रफ्तार रोकने वाली रातों से भी परेशान हो|
वो सपने भी क्या सपने हुए?
जो बड़ी आसानी से मिल जाएं,
करना कुछ भी पड़े नहीं और सब कुछ बना बनाया मिल जाये !
सपने तो वो हैं जो पग पग पर तुम्हें सताएं,
चुनौतियों से तुम्हें और मजबूत बनाएं|
सपने देखो मगर देखभाल के देखो,
कुछ अपने भीतर खंगाल के देखो!
फिर मिल जायेंगे वो सपने तुम्हें भी,
जो आंखों से तुम्हारी नींदें छीन लेंगे|
© Confused Thoughts
- Shubhankar
कैसे हो आप सभी लोग ?
अब ब्लॉग पर आना काफी कम हो गया है मेरा फिर भी मेरी कोशिश रहती है कि आप सभी के पोस्ट ज्यादा से ज्यादा पढूँ , अगर फिर भी भूलवश कोई ब्लॉग छूट जाता है तो आप कमेंट में मुझे याद दिला सकते हैं ताकि मैं आपकी मूल्यवान रचनाएं पढ़ने से वंचित ना रह जाऊं!
धन्यवाद !
नमस्कार,प्रणाम !
Beautiful.....
ReplyDeleteMotivational
ReplyDeleteThanks 🙏
ReplyDeleteThanks alot 🙏
ReplyDeleteसही मायने में सपने को बताया आपने। बहुत खूब।
ReplyDeleteAwesome
ReplyDeleteThanks you so much
ReplyDeleteBhut dhanyavaad apka
ReplyDeletea lovely write up.
ReplyDeleteNice… & true…..
ReplyDeleteThanks you so much !
ReplyDeleteThanks for reading 🙏
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