प्रेम को जितना भी जाना गया वो बहुत कम जाना गया, प्रेम को किया कम लोगों ने और लिखा ज्यादा गया। ख़ुशी मिली तो लिख दिया बढ़ा चढ़ाकर, मिले ग़म तो बना दिया बीमारी बनाकर। किसी ने बेमन से ही लिख दी दो चार पंक्ति शौकिया तौर पर, कोई शुरुआत पर ही लिखता रहा डुबा डुबा कर। कुछ लगे लोग प्रेम करने ताकि लिखना सीख जाएं, फ़िर वो लिखने में इतने व्यस्त कि भूल गए उसे यथार्थ में उतारना! हैं बहुत कम लोग जो ना बोलते हैं, ना कुछ लिखते हैं उनके पास समय ही नहीं लिखने के लिए, वो डूबे हैं प्रेम में पूरे के पूरे। वो जानते हैं की यह लिखने जितना सरल विषय है ही नहीं इसलिए वो बिना समय व्यर्थ किए कर रहे हैं उस हर पल जीने की। उन्हें दिखाने बताने, समझाने जैसी औपचारिकता की आवश्यकता नहीं दिखती,वो ख़ुद पूरे के पूरे प्रमाण हैं, उनका एक एक अंश इतना पुलकित होगा कि संपर्क में आया प्रत्येक व्यक्ति उस उत्सव में शामिल हुए बिना नहीं रह पायेगा। वो चलते फिरते बस बांट रहे होंगे, रस ही रस। ~ #ShubhankarThinks
दशक डेढ़ दशकों में कुछ बदलाव मेरे गांव में हुए हैं ,
वो कच्चे मिट्टी वाले मकान अब पक्के हो गए हैं !
बदलाव भी बड़ी गज़ब प्रक्रिया है ,
अब देखो!
मकान तो सारे के सारे पक्के हो गए मगर रिश्ते-नाते , विश्वास और मेलजोल ये सब कच्चे हो गए !
कभी खेला करते थे जिस शैतानों की टोली में ,
आज व्यस्त और समझदार वो सब बच्चे हो गए |
कुछ अपनापन सा था उन कच्चे मकानों में,
जो मिला नहीं कभी इन पक्के मकानों में !
वो तंगहाली और ऊपर से घनघोर बरसात ,
घर की कच्ची छत से पानी का रिसाव ,
फिर भी अपनेपन का ना था कोई अभाव!
उस कच्ची छत में गोरैया के अनेकों घोंसले ,
मानो एक कच्चे घर में पूरा मोहल्ला बस गया हो !
दिन भर उनके बच्चों की चहचाहट ,
ऐसे लगता था जैसे सारे मिलकर शैतानियां कर रहे हों |
शाम ढ़लते ही लगता था जैसे दुनिया थम सी गयी हो,
आँगन में बैठकर घर वापसी करते पक्षियों को एकटक निहारना ,
ऐसा प्रतीत होता था ,जैसे वो भी अब आराम की तलब में हैं!
फिर कुछ पहर बाद गूँजता था सन्नाटा|

Img Source - http://images.sncurjanchal.in//2017/04/img-20170420-wa0062-583x330.jpg
मगर आज वो गोरैया कहीं गायब हो गयी ,
आसमान में पक्षियों की कतारें संध्या वेला से नदारद हो गईं!
भले ही उजाला अधिक हो इन बनावटी रोशनियों का ,
मगर शाम वाली वो बात अब गायब हो गयी,
रातें भले ही अब लोगों की चहल पहल से गुलजार हो चली हैं,
बड़ी बैचैन , परायी सी अब ये रातें हो गईं |
मकान कच्चे थे तो क्या हुआ ?
रिश्ते -नाते , चैन सुकून सब पक्के हुआ करते थे !
मेरे गांव के वो मिट्टी वाले मकान अब पक्के हो गए ||
- शुभांकर
© Confused Thoughts
मेरी छोटी सी रचना पढ़ने के लिए धन्यवाद !
आशा करता हूँ ,आप सभी कुशल मंगल अपने कार्य क्षेत्र में संलग्न होंगे !
इन्हीं शब्दों के साथ अब में विराम लेता हूँ !
सादर प्रणाम , राम - राम 🙏🙏🙏
वो कच्चे मिट्टी वाले मकान अब पक्के हो गए हैं !
बदलाव भी बड़ी गज़ब प्रक्रिया है ,
अब देखो!
मकान तो सारे के सारे पक्के हो गए मगर रिश्ते-नाते , विश्वास और मेलजोल ये सब कच्चे हो गए !
कभी खेला करते थे जिस शैतानों की टोली में ,
आज व्यस्त और समझदार वो सब बच्चे हो गए |
कुछ अपनापन सा था उन कच्चे मकानों में,
जो मिला नहीं कभी इन पक्के मकानों में !
वो तंगहाली और ऊपर से घनघोर बरसात ,
घर की कच्ची छत से पानी का रिसाव ,
फिर भी अपनेपन का ना था कोई अभाव!
उस कच्ची छत में गोरैया के अनेकों घोंसले ,
मानो एक कच्चे घर में पूरा मोहल्ला बस गया हो !
दिन भर उनके बच्चों की चहचाहट ,
ऐसे लगता था जैसे सारे मिलकर शैतानियां कर रहे हों |
शाम ढ़लते ही लगता था जैसे दुनिया थम सी गयी हो,
आँगन में बैठकर घर वापसी करते पक्षियों को एकटक निहारना ,
ऐसा प्रतीत होता था ,जैसे वो भी अब आराम की तलब में हैं!
फिर कुछ पहर बाद गूँजता था सन्नाटा|
Img Source - http://images.sncurjanchal.in//2017/04/img-20170420-wa0062-583x330.jpg
मगर आज वो गोरैया कहीं गायब हो गयी ,
आसमान में पक्षियों की कतारें संध्या वेला से नदारद हो गईं!
भले ही उजाला अधिक हो इन बनावटी रोशनियों का ,
मगर शाम वाली वो बात अब गायब हो गयी,
रातें भले ही अब लोगों की चहल पहल से गुलजार हो चली हैं,
बड़ी बैचैन , परायी सी अब ये रातें हो गईं |
मकान कच्चे थे तो क्या हुआ ?
रिश्ते -नाते , चैन सुकून सब पक्के हुआ करते थे !
मेरे गांव के वो मिट्टी वाले मकान अब पक्के हो गए ||
- शुभांकर
© Confused Thoughts
मेरी छोटी सी रचना पढ़ने के लिए धन्यवाद !
आशा करता हूँ ,आप सभी कुशल मंगल अपने कार्य क्षेत्र में संलग्न होंगे !
इन्हीं शब्दों के साथ अब में विराम लेता हूँ !
सादर प्रणाम , राम - राम 🙏🙏🙏
बहुत खूब बहुत ही अच्छा लिखा है आपने।
ReplyDeleteJaise jaise waqt aage badh rha h log apne kaam mai vyasst h wo purani baatien , bacho ka angan mai khelna charo taraf haryali.
ReplyDeleteUn Dino ki apni ek alag baat thi !
ReplyDeleteM khud ko lucky smjhta Hun kuki 90's ka kid hone k bavjood Maine vo SB experience Kia Tha
बहुत धन्यवाद आपका !🙏🙏
ReplyDeleteMai 90's kid nhi hu par jab mai chotti thi i enjoyed a lot , aaj k bache sirf mobile aur computer mai busy rhte h par uss samay phone nhi chalta tha, maine har pal enjoy kiya h apne bachpan ko
ReplyDeleteMam Kya Mai apka Naam jaan skta Hun ?
ReplyDeleteBilkul vaisa hi bachpan Maine bitaya Hai
Abhaar apka ki apne vichaar prastut kiye !🙏
Some day i will definetly tell u, but u can call me MS
ReplyDelete😀🙏🙏intejaar rhega !
ReplyDeleteMysterious Suspense
Ok fine !
In short u say MS to me
ReplyDeleteJaisi apki agya 🙏
ReplyDeleteIts not an order
ReplyDeletePlease take it easy !
ReplyDeleteI was just kidding.😀
I know u r kidding and i am also not serious.
ReplyDeleteSounds good !😇
ReplyDeleteGood nght, meet u tomorrow with another story.
ReplyDeleteGood night !
ReplyDeleteNice to meet you!
See u
Bohot acha likha hai👍Really great piece👍
ReplyDeleteThank you so much shivee 🙏!
ReplyDeleteI am glad you liked it ❤
Kyaa khub likha hai....sach me aap jabardast likhte hain....sabkuch aankhon ke samne naach gayaa.👌👌👌
ReplyDeleteApki tareefen mujhe aur adhik likhne k liye prerit krti hain !
ReplyDeleteDhanyavaad sir 🙏
Bahut achchaa likha h aapne
ReplyDeleteDhanyavaad apka 🙏🙏
ReplyDeleteShubu good job dear!👍
ReplyDeleteThank you so much mam 🙏 Ni
ReplyDeleteNi jaldbaji Mei type ho gya
ReplyDeleteAise comments pdhkr raat Mei bhi Mera din BN jata Hai 😀😀
ReplyDeleteBhut dhanyavaad apka ki apne kimti samay nikalkar Meri Kavita pdhi !
Wow bahut hi sundar… “kacche makkan ab pakke ho gaye hai” aur pakke makkno mein ab rishte sahi mein kahin gum ho gaye hai.
ReplyDeleteMy fav lines aapki kavita ki :
kabhi khela karte the jo bacche shaitano ki toli mein, aaj woh vayest aur samajdar ho gaye hai….
Superb👍
मकान पक्के हो गए...रिश्ते कच्चे हो गए....👌तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने गावँ के रिश्ते तक को अछूता नही छोड़ा है ...
ReplyDeleteKya baat Hai !
ReplyDeleteAj sare blog pdh Dale , itne sare notifications ek Sath phone bhi 1-2 minute continue bola Hai
Dhanyavaad !
😊
ReplyDeletePadh to kal hi liya tha...Aaz comment diye...Bahut achha likhte hain aap.. Continue rakhiyega...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा मुझे !
ReplyDeleteसच में अच्छी फीलिंग्स आती हैं जब कोई हमारी रचनाओं को इतने चाव से पढ़ता है!
बहुत धन्यवाद आपका की आपने अपने कीमती समय मे से इतना समय सिर्फ मेरी रचनाएं पढ़ने के लिए निकाला!
जी...समझ सकती हूँ..🙏
ReplyDelete🙏🙏
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