जब किसी नौकरी की तलाश में कोई बेरोजगार नौजवान युवा गांव से शहर का रुख करता है तो गर्मी में उसका हाल कुछ ऐसा हो जाता है-
IMG credit- https://commons.wikimedia.org/wiki/File:A_view_of_Road_Traffic_Chandagaur_to_New_Delhi_India_Highways.jpg
गर्म मौसम और शहर का तापमान स्तर,
यहां होता है माहौल औरों से इतर!
लू के थपेड़ों से जलता बदन,
काल के गाल में समा जाती है
वो मदमस्त पवन !
वो सड़कों से उड़ती तेज धूल ,
जैसे
कोई चुभा रहा कोई गर्म शूल!
आँखें पथरा गयी हैं
मंजिल की तलब में ,
सब जगह घूम रहा हूँ
मैं बेमतलब में!
प्यास के मारे गला सूख गया है,
पानी का ना कोई अता पता है!
प्रदूषण की कालिख चेहरे पे लग रही है,
आज आसमान से भी मानो आग बरस रही है!
जहाँ नीम पीपल के वृक्ष थे,
वहां अब मकान खड़े हैं !
जो 2-4 पेड़ भाग्यवश बच गए थे ,
आज वो भी बिल्कुल शांत खड़े हैं!
कुछ कीकड के पेड़ बेज़ार खड़े हैं,
लोग तो उसकी बनावटी छाँव में भी लगातार खड़े हैं!
आँखें टोह रहीं हैं मंजिल की तलाश,
सुबह से नहीं मिला सही दिशा में निकास!
राहों की पहेली उलझती जा रही है,
हर एक गली के बाद एक जैसी गली आ रही है|
ऐसे भटकते भटकते सुबह से हो गयी है अब शाम ,
शाम को भी नहीं मिल पाता वो गांव जैसा आराम!
सुबह होते ही फिर वही रफ्तार भरनी है मुझे,
इस शहरी जिंदगी ने उलझा लिया है मुझे!
धूप में पिघलती सड़कों से दोस्ती कर ली है मैंने,
शहरी गर्मी की आदत डाल ली है मैंने|
©Confused Thoughts
बिलकुल सही वर्णन------गांव से शहर रोजगार की तलाश-----रेगिस्तान में जैसे छावं की तलाश।
ReplyDeleteLagta hai janab aaj kal yahi kar rahe hain 😝
ReplyDeleteHaan 2 din phle BT now I am at home .
ReplyDeleteISS bar sari summer vacations Ghar p nikalni Hai !
Vo poem Mera past experience Hai last year yhi krta Tha m resume lekr idhar udhar bhatakna😂😂
Dhanyavaad sir 🙏
ReplyDeleteHee hee... mujhe apne din bhi yaad aa gaye
ReplyDeleteHaan isi liye likhi thi Taki hmare jese sabhi log khud ko relate kr ske !
ReplyDelete😀😀😀
Good job!
ReplyDeleteThank you di!🙏🙏
ReplyDeleteAB to writing k ideas b ane bilkul bnd ho chuke hain 😁 PTA Ni Kya hoga
कोई बात नहीं है. होता है सबके साथ. चिन्ता मत करो, धीरे धीरे सब कुछ याद आने लगेगा, 😁
ReplyDeleteनहीं शायद अगले ३-४ महीने बिल्कुल नहीं,
ReplyDeleteउसके बाद का वक़्त बताएगा !
Achha ji :)
ReplyDeleteGood morning g
ReplyDeleteGood morning :)
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteQuite expressive...👌👌👌
ReplyDeleteThank you so much Eliza 🙏
ReplyDeleteWelcome💙💙💙
ReplyDeleteawesome
ReplyDeleteअप्रतिम रचना शुभांकर...👌👌👌👍👍
ReplyDeleteMam apka Tahedil SE shukiya 🙏!
ReplyDelete😊🍫
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteवास्तविकता की झलक है इस रचना में......
ReplyDeleteMeri rachna pdhne ke liye bhut dhanyavaad
ReplyDeleteइतनी अच्छी रचना लिखने करने के लिए धन्यवाद....:)
ReplyDeleteAisa bolkr AP mujhe khud ko shabasi dene k liye prerit kr rhi Hai Jo Mai kbi Ni krta !😀😀
ReplyDeleteDijiye khud ko shabashi.... Hakdar hain aap....,sbse achha alochak insan khud hota hai....
ReplyDeleteहाँ वो तब तक खुद का आलोचक और प्रशंसक रह सकता है जब तक वो अभिमान वाली ऐनक ना पहन ले!
ReplyDeleteबिल्कुल.....
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