कभी कभी घिर जाते हैं हम गहरे किसी दलदल में, फँस जाते हैं जिंदगी के चक्के किसी कीचड़ में, तब जिंदगी चलती भी है तो रेंगकर, लगता है सब रुका हुआ सा। बेहोशी में लगता है सब सही है, पता नहीं रहता अपने होने का भी, तब बेहोशी हमें पता नहीं लगने देती कि होश पूरा जा चुका है। ठीक भी है बेहोशी ना हो तो पता कैसे लगाइएगा की होश में रहना क्या होता है, विपरीत से ही दूसरे विपरीत को प्रकाश मिलता है अन्यथा महत्व क्या रह जायेगा किसी भी बात का फिर तो सही भी ना रहेगा गलत भी ना रहेगा सब शून्य रहेगा। बेहोशी भी रूकती नहीं हमेशा के लिए कभी आते हैं ऐसे क्षण भी जब एक दम से यूटूर्न मार जाती है आपकी नियति, आपको लगता है जैसे आँधी आयी कोई और उसने सब साफ कर दिया, बेहोशी गिर गयी धड़ाम से जमीन पर, आपसे अलग होकर। अभी आप देख पा रहे हो बाहर की चीजें साफ साफ, आपको दिख रहा है कि बेहोशी में जो कुछ चल रहा था वो मेरे भीतर कभी नही चला। जो भी था सब बाहर की बात थी, मैं तो बस भूल गया था खुद को बेहोशी में, ध्यान ना रहा था कि सब जो चल रहा था कोई स्वप्न था। खैर जो भी था सही था, जैसी प्रभु की इच्छा, जब मन किया ध्यान में डुबो दिया जब मन कि
नमस्कार दोस्तो, काफी दिनों बाद आपसे कुछ बात करने का मन हुआ है , हमेशा कविताएं लिखता हूँ , मगर कुछ बातें सीधे आप सबके समक्ष रख सकूँ इसलिए आज कोई कविता नहीं लिखूंगा ! जैसा कि आपने शीर्षक पढ़ा होगा तो आपमें से बहुत लोगों को लग रहा होगा कि मैं भी मोदी जी के तीन साल के काम गिनाने जा रहा हूँ |नहीं ऐसा कुछ नहीं है! अगर अपने देश के विकास की बात करनी होती तो मैं इंग्लिश में लिखता ताकि विदेशी लोग भी हमारे विकास को देखें और भारत को जानें ! style="display:block; text-align:center;" data-ad-layout="in-article" data-ad-format="fluid" data-ad-client="ca-pub-5231674881305671" data-ad-slot="2629391441"> आज कुछ ऐसी बातें हैं जो घर परिवार में ही करनी चाहिए क्योंकि पड़ौसी जानेंगे तो उन्हें मजाक बनाने के लिए बढ़ावा मिलेगा| खैर मुद्दे की बात पर आता हूँ अब ! रोज हम खबरों में रेप की खबरें पढ़ते हैं , कल मैंने भी ऐसा कुछ पढ़ा जिससे मुझे बहुत सारे विचार आये| वो विचार चरम पर थे मगर कल मैं कुछ नहीं लिख पाया क्योंकि कल आज मेरा एग्जाम था तो स