थमा होगा कोई थक कर किसी दौड़ से, शायद कोई आख़िरी किनारा ना होगा। आँखें मूँद कर बैठे हैं जो भी, उनके लिए बाकि अब कोई नज़ारा ना होगा। जीतने के बाद भूल जाये जो जमीं भी, ऐसा तो नहीं कि वो कभी हारा ना होगा। तसल्ली होगी नहीं कभी ज्यादा कमाने से, और अगर कमाये ही ना तो गुज़ारा ना होगा। जो डूबे हैं गम में और जिसमें महबूब हैं मुज़रिम, उन्हें ग़लती से भी इश्क़ दुबारा ना होगा। जो घूम रहे हैं अभी तक अपनों की तलाश में, उनके पास ख़ुद का कोई सहारा ना होगा। ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है मेरे दोस्त, यहाँ आपका चुप रहना भी गवारा ना होगा। खिल सकते थे वो सब मुरझाये हुए फूल, उनको तबियत से किसी ने कभी सँवारा ना होगा। मुट्ठी में भर लो चाहे जितने भी पत्थर या मोती, जब जाओगे यहाँ से तो कुछ तुम्हारा ना होगा। ज़िन्दगी है अभी यहीं इसी वक़्त, ये पल जो अभी है फिर दुबारा ना होगा। ©ShubhankarThinks
अभी जैसा आप सबको पता है देश में एक गंभीर समस्या चल रही है , उस समस्या का अभी तक कोई समाधान नही मिल पा रहा
रोज हम अखबारों में सैनिकों के शहीद होने की खबर पढ़ते हैं ऐसी खबर पढ़कर मेरे अंदर बहुत उथल पुथल होती है समझ नहीं आ रहा आखिर ये रुकने का नाम क्यों नहीं ले रहा उसी व्यथा को मैंने कुछ शब्दों के माध्यम से लिखा है शायद कुछ लोगों को आपत्ति भी हो मेरे शब्दों पर मगर क्षमा चाहूँगा स्पष्टवादी हूँ -
बड़े शौक से लोग पढ़ते हैं और नसीहत देते हैं
शांतिप्रियता मनुष्यता का प्रमाण है !
ऐसे शांति पक्षधरों को आज स्पष्ट शब्दों में बोलूंगा
राजनीति , कूटनीति , इतिहास सारे पन्ने खोलूंगा !
खैर राजनीति तो कल परसों की कहानी है
मगर सिंधु घाटी की ये सभ्यता तो वर्षों पुरानी है
जब जब शांति की शरण में कोई गया था
तब तब उसकी उसकी हस्ती को शत्रु निगल कर गया था!
एक बार गौर करो इतिहास पर ऐसी अनेकों कहानी हैं !
तुम खोलो तो सही महाभारत का विवरण
वो पांडवों के शांति प्रस्ताव का प्रकरण
दुर्योधन समस्त राज हथियाने चला था
भगवान कृष्ण को भी बंदी बनाने चला था !
इतिहास पढो तुम चक्रवर्ती सम्राट का
जो खेल खेलता था शत्रुओं के विनाश का
सुदूर देश की क्या मजाल जो आँख उठाकर भारत की तरफ देख सके
किसी के क़दमों में साहस नहीं था जो सीमा में घुस सके
किंतु अंत किसी ने ना जाना
जब अशोक ने शांति का दामन थामा
मगर परिणाम देखकर आपको होगा अचरज
गृहयुद्ध , क्षीणता , अधिपत्य और कमजोर वंशज
फिर ना बना सका कोई एक क्षत्र शासक !
शांति के दूतों का जब हुआ था भारतवर्ष में आगमन
तब हमें क्या मिला ?
600 वर्षों तक मुगल अत्याचार फिर २०० वर्षों तक अंग्रेजी गुलामी का शासन!
मुझे नहीं पता आप हिंसक हो या फिर अहिंसावादी हो
या फिर मेरी तरह विचारवादी हो
मगर कैसे भुला सकते हो नेहरू और गाँधी को
मैं बहस बिल्कुल नहीं करूंगा स्वतंत्रता दिलाने में योगदान किसका अधिक था !
मगर ये जरूर है
अहिंसा का प्रयोग उस समय
मौलिक से ज्यादा भौतिक था !
तब अहिंसा अगर कुछ दिन चुपचाप गहरी नींद सोती
तब भारत में इतनी ना हिंसा होती
और आज की स्थिति ना इतनी गंभीर होती !
वहां सीमा पर देश का जवान शहीद होता है
और वो राजनीतिक महकमा चैन की नींद सीता है
कभी सीमा पर कभी सीमा के भीतर रोज मर रहे हैं हम
पड़ौसी मुल्क से तो क्या निपटेंगे
खुद अपने ही देश में जाने किससे डर रहे हैं हम ?
शस्त्र , सेना , गोला बारूद का भंडार है
माँ भारती की कृपा से धन धान्य भी अपार है
उसके बावजूद भी शत्रु रोज घर में घुसकर घुसपैठ कर रहे हैं
हम अभी भी ना जाने किस घड़ी का इंतजार कर रहे हैं !
मैं शांतिप्रिय छवि अब उतारने को बोलूंगा
हिंसक बनकर दहाड़ने को बोलूंगा !
©Confused Thoughts
If you want to listen audio poems you can visit our YouTube Channel even you can also contribute your voice to our channel .
for more detail mail us- kalaravgujan@gmail.com
रोज हम अखबारों में सैनिकों के शहीद होने की खबर पढ़ते हैं ऐसी खबर पढ़कर मेरे अंदर बहुत उथल पुथल होती है समझ नहीं आ रहा आखिर ये रुकने का नाम क्यों नहीं ले रहा उसी व्यथा को मैंने कुछ शब्दों के माध्यम से लिखा है शायद कुछ लोगों को आपत्ति भी हो मेरे शब्दों पर मगर क्षमा चाहूँगा स्पष्टवादी हूँ -
बड़े शौक से लोग पढ़ते हैं और नसीहत देते हैं
शांतिप्रियता मनुष्यता का प्रमाण है !
ऐसे शांति पक्षधरों को आज स्पष्ट शब्दों में बोलूंगा
राजनीति , कूटनीति , इतिहास सारे पन्ने खोलूंगा !
खैर राजनीति तो कल परसों की कहानी है
मगर सिंधु घाटी की ये सभ्यता तो वर्षों पुरानी है
जब जब शांति की शरण में कोई गया था
तब तब उसकी उसकी हस्ती को शत्रु निगल कर गया था!
एक बार गौर करो इतिहास पर ऐसी अनेकों कहानी हैं !
तुम खोलो तो सही महाभारत का विवरण
वो पांडवों के शांति प्रस्ताव का प्रकरण
दुर्योधन समस्त राज हथियाने चला था
भगवान कृष्ण को भी बंदी बनाने चला था !
इतिहास पढो तुम चक्रवर्ती सम्राट का
जो खेल खेलता था शत्रुओं के विनाश का
सुदूर देश की क्या मजाल जो आँख उठाकर भारत की तरफ देख सके
किसी के क़दमों में साहस नहीं था जो सीमा में घुस सके
किंतु अंत किसी ने ना जाना
जब अशोक ने शांति का दामन थामा
मगर परिणाम देखकर आपको होगा अचरज
गृहयुद्ध , क्षीणता , अधिपत्य और कमजोर वंशज
फिर ना बना सका कोई एक क्षत्र शासक !
शांति के दूतों का जब हुआ था भारतवर्ष में आगमन
तब हमें क्या मिला ?
600 वर्षों तक मुगल अत्याचार फिर २०० वर्षों तक अंग्रेजी गुलामी का शासन!
मुझे नहीं पता आप हिंसक हो या फिर अहिंसावादी हो
या फिर मेरी तरह विचारवादी हो
मगर कैसे भुला सकते हो नेहरू और गाँधी को
मैं बहस बिल्कुल नहीं करूंगा स्वतंत्रता दिलाने में योगदान किसका अधिक था !
मगर ये जरूर है
अहिंसा का प्रयोग उस समय
मौलिक से ज्यादा भौतिक था !
तब अहिंसा अगर कुछ दिन चुपचाप गहरी नींद सोती
तब भारत में इतनी ना हिंसा होती
और आज की स्थिति ना इतनी गंभीर होती !
वहां सीमा पर देश का जवान शहीद होता है
और वो राजनीतिक महकमा चैन की नींद सीता है
कभी सीमा पर कभी सीमा के भीतर रोज मर रहे हैं हम
पड़ौसी मुल्क से तो क्या निपटेंगे
खुद अपने ही देश में जाने किससे डर रहे हैं हम ?
शस्त्र , सेना , गोला बारूद का भंडार है
माँ भारती की कृपा से धन धान्य भी अपार है
उसके बावजूद भी शत्रु रोज घर में घुसकर घुसपैठ कर रहे हैं
हम अभी भी ना जाने किस घड़ी का इंतजार कर रहे हैं !
मैं शांतिप्रिय छवि अब उतारने को बोलूंगा
हिंसक बनकर दहाड़ने को बोलूंगा !
©Confused Thoughts
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Bilkul sahi likhaa aapne.......krishn ne bhi duryodhan ko bahut samjhaayaa tha......antatah kya hua....?
ReplyDeleteBilkul sahi. Aaj kal desh me ye samasya kaafi gambhir hai. Jo humari raksha karte hain unki koi surashka nahi karta. Unki haalat toh humse zyada dayneeya hai. Na dhang ka khana na dhang ka pehnava.
ReplyDeleteMeri rachna pdhne ke liye bhut dhanyavaad sir
ReplyDeleteBhut Sahi baat Kahi Hai apne
ReplyDeleteKhana vgrh to phirr b Baad ki baat Hai
Unhe apni marji SE koi action b Ni Lene dete even terrorists Roj a jate Hai
Agr ek bar India k andar operation ho jaye to khud ye log ana bnd kr denge mgr jaisa apne b dekha hoga news m ki vo Jeep wale incident p v court case BNA Diya kuch AISE hain India ke rules and Constitution vhi agr USA vgrh HOTA to lash ka b ptA nahi chlne dete vo log
Strict action decipline bnane ke liye jruri Hai
Btw thanks for reading my small effort
Ye toh bilhul sahi baat kahi hai. Magar government waale isliye bhi nahi unko khud se action nahi lene dete kyunki agar aisa hua toh har jagah sab apni hi marzi chalayenge aur hahakaar mach jaayega. Kashmir ki haalat toh tum jaante hi ho.
ReplyDeleteHaan mgr kbhi kbhi action BHI jruri HOTA Hai
ReplyDeleteKashmir ki halat vha ke logon ne khud bnayi Hai
Phle kashmiri panditon ko bhga Diya terrorists ke Sath milke ab vo terrorists unke Ghar m ghuste Hai unka harrasment krte Hai
Rhi Sahi kasar Sena utaar deti Hai kuki vo b to pathhar marte hai phle
Oh my god!!!
ReplyDeleteYou have written so amazing and this powerful post!!!
And I agree with you, sometimes action is also needed, to stop the evil from expanding it’s boundaries!
Loved it! 😊
You have made my day by your wonderful comment !
ReplyDeleteglad to know that you liked my post very much .
Thank you so much
You're so welcome!!
ReplyDeleteI am glad I could bring a smile on your face. Have a great day! :)
👌👌👌
ReplyDeleteThank you so much
ReplyDeleteYr welcome..😄😄
ReplyDeleteमेरे विचार से अन्तर्मन की व्यथा विचार अभिव्यक्त कर स्वयं में आनन्दित रहने का यह एक अच्छा साधन है।
ReplyDeleteU write amazing n power ful. Don't stop.
ReplyDeleteBahut sahi likha hai aapne
ReplyDeleteBhut dhanyavaad apka
ReplyDeleteThank you so much sir
ReplyDeleteApka dhanyavaad mam
ReplyDeleteबहुत सही कहा है, हिंसक बनकर दहाड़ ने को ही बौलना चाहिए
ReplyDeleteअशोक नै कलिंग में तबाही मचाई, जिससे उसके बेटबेटी घर छोडकर बुद्ध की शरण में चले गये।क्या किया उसने, केवल हुकूमत और हुकूमत, उसके बच्चों ने उसका त्याग ही कर दिया।
ReplyDeleteगांधी ने हिंदू को कायर बना दिया। वरना आज देश के ये हालात नहीं होते।
ReplyDelete😀😀😀
ReplyDeleteM is mamle m chup rhna pasand krunga
Aur last Mei vo khud bhi baudhha dharm Mei chla Gya
ReplyDeleteBhut dhanyavaad
ReplyDeleteहिंसक बन कर....
ReplyDeleteये तो तभी होगा जब अपरोक्ष रूप से कलम को तलवार बनाया जाए।इस तरह बहुत बड़े समाज के प्रवाह को बदला जा सकता है।उसके लिए बोलती कलम चाहिए।
Bhut Sahi baat Kahi apne
ReplyDeleteShabdon ko Sahi samay par aur Sahi disha Mei prayog KRNa bhi hmara hi kartavya Hai
Vo prayas Maine Kiya bhi hai
वाक़ई कलम एक धारदार हथियार है...और आपने इसे उठा लिया है.....
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