प्रेम को जितना भी जाना गया वो बहुत कम जाना गया, प्रेम को किया कम लोगों ने और लिखा ज्यादा गया। ख़ुशी मिली तो लिख दिया बढ़ा चढ़ाकर, मिले ग़म तो बना दिया बीमारी बनाकर। किसी ने बेमन से ही लिख दी दो चार पंक्ति शौकिया तौर पर, कोई शुरुआत पर ही लिखता रहा डुबा डुबा कर। कुछ लगे लोग प्रेम करने ताकि लिखना सीख जाएं, फ़िर वो लिखने में इतने व्यस्त कि भूल गए उसे यथार्थ में उतारना! हैं बहुत कम लोग जो ना बोलते हैं, ना कुछ लिखते हैं उनके पास समय ही नहीं लिखने के लिए, वो डूबे हैं प्रेम में पूरे के पूरे। वो जानते हैं की यह लिखने जितना सरल विषय है ही नहीं इसलिए वो बिना समय व्यर्थ किए कर रहे हैं उस हर पल जीने की। उन्हें दिखाने बताने, समझाने जैसी औपचारिकता की आवश्यकता नहीं दिखती,वो ख़ुद पूरे के पूरे प्रमाण हैं, उनका एक एक अंश इतना पुलकित होगा कि संपर्क में आया प्रत्येक व्यक्ति उस उत्सव में शामिल हुए बिना नहीं रह पायेगा। वो चलते फिरते बस बांट रहे होंगे, रस ही रस। ~ #ShubhankarThinks
वो मेरे अंतर्मन के बेनाम नगर में
अमुक स्थान से निकलती संकरी राहों से गुजरने के बाद
एक आवास श्रेणी है !
वहां कोई अज्ञात लोगों का पूरा समूह छिपा है ,
हाँ!एक दो नहीं हैं ,उनका तो पूरा झुंड है पूरा का पूरा !
शान्ति से रहें तो भी ठीक है ,
मगर वो अशिष्ट जन कोलाहल करते हैं
मैं ठहरा लाचार , निर्बल उनके सामने ,
आखिर अकेला प्राणी पूरे झुंड से कैसे लड़ाई करेगा!
वैसे एक नहीं हैं वो लोग
मगर अच्छा होता अगर वो समूह में एक होते
विचारधाराएं, परिकल्पनाएं , मार्ग, अभिलाषाएं सब एक होते
मस्तिष्क - नगर में जाने के मार्ग ना अनेक होते !
दुर्भाग्य कहूँ या फिर मन की पिपासा
हाँ! सारी त्रुटियां मन ने ही तो की हैं ,
क्या जरूरत थी अंतर्मन - आवास श्रेणी में इतने रिक्त स्थान बनाने की ?
अब देख लो अज्ञात लोग अवैध कब्जा करके काल सर्प की भांति कुंडली मार के बैठे हैं !
फिर मैं विचार करता हूँ
अच्छा ही तो है , जो यहां अनेकों रहते हैं
वरना इतने बड़े रिक्तस्थान पर कोई
विशाल , वीरान , भुतहा खण्डहर होता !
जिन्न, छलावा और राक्षस ये सब यहां घर कर लेते
उनके दुष्प्रभाव से शायद मैं भी कोई दानव होता !
अब मन पर प्रश्न चिन्ह लगाना छोटे मुंह बड़ी बात हो गयी
मेरा कद ही क्या है उसके सामने ?
शायद आपको नहीं पता होगा !
मैं भी तो उसी दुर्गम श्रेणी के एक आवास में रहता हूँ
शांत, एकदम अचल , द्वंद्वपूर्ण विचारों से आच्छादित और असहाय
हाँ यही विशेषताएं उपयुक्त हैं मेरे लिए !
हाँ एक बात है
अपने ग्रह में स्थायी रूप से निवास करता हूँ
अब इसे आप मेरी हठवादिता कहो या फिर जुझारूपन
या फिर आश्रित हूँ मैं
मगर इन अज्ञात प्राणियों का क्या है ?
अस्थिरता इनके स्वभाव में है
आज कोई यहां से जाता है तो कल दूसरा कोई रहने आ जाता है !
अनेकों विचार -धाराओं के चलते ये उद्दंडी झुंड कोलाहल बहुत करता है !
नमस्कार दोस्तों ,
जैसा कि आपने नोटिस भी किया होगा पहले के मुकाबले मेरी पोस्ट्स अब नहीं आ रहीं हैं , उसके लिए क्षमा चाहूँगा मुझे भी कुछ समझ नहीं आता आखिर क्यों ?
ऐसा नहीं है राइटिंग का मन नहीं करता !करता है मगर 24 घंटे से ज्यादा मेरे पास भी नहीं हैं सब कुछ करना चाहता हूं एक तरफ सोचता हूँ कुछ भी छूट ना जाये , ये भी कर लूं वो भी कर लूं
मगर एक तरफ मन कहता है ये सब व्यर्थ की मोह माया है , शांति से रहो मगर फिर भी अंतर्मन अनेकों रूप धारण करके मुझे लगातार भ्रमित करता है कुछ ऐसी व्यथा को मैंने समय निकालकर लिखा है अगर आपको ये द्वंद अपना से लगता है तो विचार अवश्य देना !
धन्यवाद
©Confused Thoughts
अमुक स्थान से निकलती संकरी राहों से गुजरने के बाद
एक आवास श्रेणी है !
वहां कोई अज्ञात लोगों का पूरा समूह छिपा है ,
हाँ!एक दो नहीं हैं ,उनका तो पूरा झुंड है पूरा का पूरा !
शान्ति से रहें तो भी ठीक है ,
मगर वो अशिष्ट जन कोलाहल करते हैं
मैं ठहरा लाचार , निर्बल उनके सामने ,
आखिर अकेला प्राणी पूरे झुंड से कैसे लड़ाई करेगा!
वैसे एक नहीं हैं वो लोग
मगर अच्छा होता अगर वो समूह में एक होते
विचारधाराएं, परिकल्पनाएं , मार्ग, अभिलाषाएं सब एक होते
मस्तिष्क - नगर में जाने के मार्ग ना अनेक होते !
दुर्भाग्य कहूँ या फिर मन की पिपासा
हाँ! सारी त्रुटियां मन ने ही तो की हैं ,
क्या जरूरत थी अंतर्मन - आवास श्रेणी में इतने रिक्त स्थान बनाने की ?
अब देख लो अज्ञात लोग अवैध कब्जा करके काल सर्प की भांति कुंडली मार के बैठे हैं !
फिर मैं विचार करता हूँ
अच्छा ही तो है , जो यहां अनेकों रहते हैं
वरना इतने बड़े रिक्तस्थान पर कोई
विशाल , वीरान , भुतहा खण्डहर होता !
जिन्न, छलावा और राक्षस ये सब यहां घर कर लेते
उनके दुष्प्रभाव से शायद मैं भी कोई दानव होता !
अब मन पर प्रश्न चिन्ह लगाना छोटे मुंह बड़ी बात हो गयी
मेरा कद ही क्या है उसके सामने ?
शायद आपको नहीं पता होगा !
मैं भी तो उसी दुर्गम श्रेणी के एक आवास में रहता हूँ
शांत, एकदम अचल , द्वंद्वपूर्ण विचारों से आच्छादित और असहाय
हाँ यही विशेषताएं उपयुक्त हैं मेरे लिए !
हाँ एक बात है
अपने ग्रह में स्थायी रूप से निवास करता हूँ
अब इसे आप मेरी हठवादिता कहो या फिर जुझारूपन
या फिर आश्रित हूँ मैं
मगर इन अज्ञात प्राणियों का क्या है ?
अस्थिरता इनके स्वभाव में है
आज कोई यहां से जाता है तो कल दूसरा कोई रहने आ जाता है !
अनेकों विचार -धाराओं के चलते ये उद्दंडी झुंड कोलाहल बहुत करता है !
नमस्कार दोस्तों ,
जैसा कि आपने नोटिस भी किया होगा पहले के मुकाबले मेरी पोस्ट्स अब नहीं आ रहीं हैं , उसके लिए क्षमा चाहूँगा मुझे भी कुछ समझ नहीं आता आखिर क्यों ?
ऐसा नहीं है राइटिंग का मन नहीं करता !करता है मगर 24 घंटे से ज्यादा मेरे पास भी नहीं हैं सब कुछ करना चाहता हूं एक तरफ सोचता हूँ कुछ भी छूट ना जाये , ये भी कर लूं वो भी कर लूं
मगर एक तरफ मन कहता है ये सब व्यर्थ की मोह माया है , शांति से रहो मगर फिर भी अंतर्मन अनेकों रूप धारण करके मुझे लगातार भ्रमित करता है कुछ ऐसी व्यथा को मैंने समय निकालकर लिखा है अगर आपको ये द्वंद अपना से लगता है तो विचार अवश्य देना !
धन्यवाद
©Confused Thoughts
Beautiful 👍👍👍
ReplyDeleteआज कोई यहां से जाता है तो कल दूसरा कोई रहने आ जाता है .........बहुत खूब---।
ReplyDeleteBhut dhanyavaad sir
ReplyDeleteBhut dhanyavaad Bhai
ReplyDeleteAmazing.👌👌
ReplyDeleteBhaiya kya likha hai ki sir ke upad से udd gaya, tumhari bhasha ki mai kayal ho chuki hoon. Marvellous! And in the end what you've written about not being able to write because of lack of time, is precisely what I'm going through as well. So I know what you're going through, but continue writing.
ReplyDeleteBhut dhanyavaad mam🙏
ReplyDeleteMy pleasure.😊
ReplyDeleteक्षमा चाहूँगा
ReplyDeleteमेरे विचार भी अब मेरी तरह उलझ गए हैं मुझे नहीं पता मैंने इतनी अजीब सी कविता क्यों लिखी 😂😂
Thanks for appreciations even poetry is not understandable to you 😁
Yes I will continue like this 🙏
Kabhi kabhi aunga weird posts k sath
Don't worry. We love your stuff, weird or not
ReplyDeleteThanks for loving my posts
ReplyDelete🙏🙏
Likewise 😊
ReplyDelete😇😇😇
ReplyDeleteSo well framed👏👏I liked the way it way written👏Beautiful!
ReplyDeleteThank you so much dear
ReplyDeleteYour appreciations mean alot to me
Keep visiting
Keep writing
For sure👍I had been busy so really sorry for not being so regular, but will surely catch up! Most welcome,😇
ReplyDeleteNot an issue !
ReplyDeleteI am also much busy nowdays
बहुत अच्छा !! लिखते रहिये, समय की कमी का सामना तो हम सभी करते रहते हैं।
ReplyDeleteDhanyavaad mam 🙏
ReplyDeleteThank you so much Neha 😇
ReplyDeleteAmazing👌💛😄
ReplyDelete