प्रेम को जितना भी जाना गया वो बहुत कम जाना गया, प्रेम को किया कम लोगों ने और लिखा ज्यादा गया। ख़ुशी मिली तो लिख दिया बढ़ा चढ़ाकर, मिले ग़म तो बना दिया बीमारी बनाकर। किसी ने बेमन से ही लिख दी दो चार पंक्ति शौकिया तौर पर, कोई शुरुआत पर ही लिखता रहा डुबा डुबा कर। कुछ लगे लोग प्रेम करने ताकि लिखना सीख जाएं, फ़िर वो लिखने में इतने व्यस्त कि भूल गए उसे यथार्थ में उतारना! हैं बहुत कम लोग जो ना बोलते हैं, ना कुछ लिखते हैं उनके पास समय ही नहीं लिखने के लिए, वो डूबे हैं प्रेम में पूरे के पूरे। वो जानते हैं की यह लिखने जितना सरल विषय है ही नहीं इसलिए वो बिना समय व्यर्थ किए कर रहे हैं उस हर पल जीने की। उन्हें दिखाने बताने, समझाने जैसी औपचारिकता की आवश्यकता नहीं दिखती,वो ख़ुद पूरे के पूरे प्रमाण हैं, उनका एक एक अंश इतना पुलकित होगा कि संपर्क में आया प्रत्येक व्यक्ति उस उत्सव में शामिल हुए बिना नहीं रह पायेगा। वो चलते फिरते बस बांट रहे होंगे, रस ही रस। ~ #ShubhankarThinks
ढोल नगाडों से स्वागत हुआ था ,
मीठे भोगों से आवाभगत किया था!
मां ने सारा सुख परित्याग किया था,
जब उस नन्हे से जीव ने जन्म लिया था ||
फिर गली मौहल्ले नापकर चला वो ,
उठता सम्हलता कभी दौडता चला वो !
कभी सुख तो कभी दुख में चला वो ,
जिन्दगी के पथ पर बढता चला वो !
कंधों पर लिए जिम्मेदारी का बोझा ,
अपने जीवन की गाडी को हांकता चला वो||
कभी बारिश में भीगा तो कभी तूफानों लडा था,
कभी खेतों की खातिर तपती दुपहरी में खडा था!
कभी औरों की मोल ली लडाई में लडा था ,
कभी अपनों की खातिर चट्टान सा खडा था||
सारी जिन्दगी में क्या क्या रंग देखे थे उसने ,
कुदरत के बनाये सब खेल खेले थे उसने !
सब दुख दर्द खुद ठेले थे उसने ,
क्योंकि सारे मौसम देखे थे उसने ||
समय का चक्र तेजी से गुजरता गया था,
वो जिन्दगी की लडाई लडता गया था!
अब चलने से कुछ लडखडा गया था,
जाने क्यों वो अब उखड सा गया था||
फिर घिर गया वो बीमारी के घेरे में,
वक्त गुजरता अब हकीम के खेमे में!
कुछ अपने लगे थे देखभाली में उसके,
कुछ अपने लगे उसे औषधी देने में||
अब राम नाम वो पुकारने लगा था,
सत्य को वो पहचानने लगा था!
मृत्युं की घडी अब निकट है मेरे,
इस सार्थक सत्य को मानने लगा था||
कुछ भेजे थे यम ने दूत पृथ्वी पर,
जो आये बडे मदमस्त होकर!
खींचे प्राण कुछ कठोर होकर,
फिर चल दिये वो परलोक को !
उस प्राणी के प्राणों को लेकर ||
अब शरीर धरती पर अचेत पडा है,
कुछ अन्दर ही अन्दर अकडा पडा है!
अब लोगों का जमावाडा लगा पडा है,
कोई शरीर के निकट तो कोई दूर खडा है||
शरीर को रख लकडियों के घर में ,
निकली ध्वनि फिर एक स्वर में !
राम नाम सत्य है , सत्य बोलो गत्य है||
मीठे भोगों से आवाभगत किया था!
मां ने सारा सुख परित्याग किया था,
जब उस नन्हे से जीव ने जन्म लिया था ||
फिर गली मौहल्ले नापकर चला वो ,
उठता सम्हलता कभी दौडता चला वो !
कभी सुख तो कभी दुख में चला वो ,
जिन्दगी के पथ पर बढता चला वो !
कंधों पर लिए जिम्मेदारी का बोझा ,
अपने जीवन की गाडी को हांकता चला वो||
कभी बारिश में भीगा तो कभी तूफानों लडा था,
कभी खेतों की खातिर तपती दुपहरी में खडा था!
कभी औरों की मोल ली लडाई में लडा था ,
कभी अपनों की खातिर चट्टान सा खडा था||
सारी जिन्दगी में क्या क्या रंग देखे थे उसने ,
कुदरत के बनाये सब खेल खेले थे उसने !
सब दुख दर्द खुद ठेले थे उसने ,
क्योंकि सारे मौसम देखे थे उसने ||
समय का चक्र तेजी से गुजरता गया था,
वो जिन्दगी की लडाई लडता गया था!
अब चलने से कुछ लडखडा गया था,
जाने क्यों वो अब उखड सा गया था||
फिर घिर गया वो बीमारी के घेरे में,
वक्त गुजरता अब हकीम के खेमे में!
कुछ अपने लगे थे देखभाली में उसके,
कुछ अपने लगे उसे औषधी देने में||
अब राम नाम वो पुकारने लगा था,
सत्य को वो पहचानने लगा था!
मृत्युं की घडी अब निकट है मेरे,
इस सार्थक सत्य को मानने लगा था||
कुछ भेजे थे यम ने दूत पृथ्वी पर,
जो आये बडे मदमस्त होकर!
खींचे प्राण कुछ कठोर होकर,
फिर चल दिये वो परलोक को !
उस प्राणी के प्राणों को लेकर ||
अब शरीर धरती पर अचेत पडा है,
कुछ अन्दर ही अन्दर अकडा पडा है!
अब लोगों का जमावाडा लगा पडा है,
कोई शरीर के निकट तो कोई दूर खडा है||
शरीर को रख लकडियों के घर में ,
निकली ध्वनि फिर एक स्वर में !
राम नाम सत्य है , सत्य बोलो गत्य है||
Good one...
ReplyDeletePuri life ko dikha dia ek hi poem me!!!
Thanks !
ReplyDelete😋😋 Haan mujhe jaldi rhti h n to sb kuch km words . M pura krk nikal leta hu
😂😂😂
ReplyDeleteMarmik .. hum had mas ke putle hain mitti mein mil jane hain chah badi hai sau gaj pane ki bar do gaj mein mil jane hain.. khoob bahut sunder lekhan ..
ReplyDeleteBhut khoob ! 👌👌
ReplyDeleteDo gaj m mil Jane hai
...
Thanks for reading my small poetry
Its all my pleasure :) bahut sunder likhte hai ap
ReplyDeleteकद से अधिक तारीफ करने के लिए फिर से धन्यवाद
ReplyDeleteAap wakai achha likhte hain aur politeness apko accha insaan banati hai 😊
ReplyDeleteAur ap logon ki प्रतिक्रिया मुझे और लिखने के लिए प्रेरित करती है और kisi b writer ka polite hona jruri
ReplyDeleteधन्यवाद !
ReplyDeletePoliteness is good very true ; ye mein bhi kehti hun humesha
ReplyDeleteसब आप सभी बडों का आशीर्वाद ही है वरना कुछ नहीं है दुनिया में
ReplyDeleteकुछ अलग कहना चाह रही पर शब्द नही है पास
ReplyDeleteकभी कभी भावनायें सब प्रदर्शित कर देती हैं
ReplyDeleteशब्द तो सिर्फ माध्यम मात्र होते हैं 😊
धन्यवाद मैम