कुछ बन जाने में एक चुनाव है, जिसके बाद इंसान कुछ और नहीं बन पाता, मगर कुछ ना बनने में, सब कुछ बन जाने की संभावना होती है। #ShubhankarThinks
ध्वज को तुम थाम लो,
शस्त्र तुम निकाल लो !
मिट्टी को बना मुकुट ,
मस्तकों पे धार लो !
प्रतिशोध की घड़ी है,
अब ये बात मन में ठान लो ||
जा युद्ध का आह्वान कर,
शत्रु को हैरान कर !
गूंज उठे शब्द गगन में ,
ऐसा तू गुंजाल कर !
प्रतिशोध की घडी है ये
आज बात मन में गाढ लो ||
कुछ वीरों का ध्यान कर ,
कुछ भागवत का सार पढ,
कुछ भाव ला क्रोध के!
आज अशोक को तू याद कर ,
यही घडी मिली है प्रतिशोध की!
आज बात मन में ठान ले||
युद्ध के लिए उठा ध्वजा ,
ढोल को आज जोर से बजा!
रथ को तू वधु जैसा सजा ,
जा शत्रुओं को दे सजा !
यही घडी है प्रतिशोध की,
आज मन में ठान ले||
आज ह्रदय को तू निकाल कर,
बाजुओं को ढाल कर,
तिलक लगा तू भाल पर !
रूप को विकराल कर ,
प्रतिशोध की घड़ी है अब !
आज निकल तू ये ठान कर||
युद्ध का आरम्भ कर ,
कुछ स्थिति प्रचंड़ कर !
देव को प्रणाम कर ,
धनुष पर तू बाण धर!
प्रतिशोध का आरम्भ कर ,
आज ह्रदय को बांध कर||
तरकश को तू धार ले ,
तलवार को साध ले !
लपट उठा दे रणभूमि में ,
कुछ ऐसा प्रमाण दे !
प्रतिशोध की अग्नि है ये ,
इसे वायु से विराट कर ||
आज वीर का प्रमाण दे ,
वीरता उभार दे !
यही घडी प्रतिशोध की ,
अब प्रेम को बिसार दे !
शत्रुओं के मस्तकों को ,
कृपाण से उतार दे ||
शत्रु को ललकार कर :-
तेरे रक्त को लालायित हूं ,
आ मुझे तू तृप्त कर ||
महाकाल का तू ध्यान धर ,
तांड़व सा तू नृत्य कर !
हाथ मैं त्रिशुल धर ,
सिर शत्रु के उतार धर !
आज तू ये पाप कर ,
मन में मृत्युंजय जाप कर !
प्रतिशोध की घड़ी है ये ,
मन में तू ना शोक कर ||
जन जन की पुकार है ,
राज्य में हाहाकार है!
शत्रु मस्तक पर सवार है,
अब युद्ध की गुहार है !
धनुष अब तू धार ले ,
प्रत्यंचा अब तू चढा ले !
तेरे कहर का शिकार होने,
वहां शत्रुओं की कतार हैं!
पराक्रम का प्रचार कर ,
पूर्वजों का मान रख!
ये प्रतिशोध की गुहार है||
विजय तेरे करीब है ,
शत्रु नेता करीब है !
जा इसे तू ललकार दे ,
गगन तक दहाड़ दे !
पल भर भी ना विचार कर,
मस्तक इसका उतार दे !
सिहर उठे भू हाहाकार से ,
शत्रुओं को नृशंस्य ताड़ दे!
प्रतिशोध की ज्वाला है ये ,
अब विजय से तू तार दे||
युद्ध अब विराम है,
शत्रु अब परेशान है !
सेना के साथ जो उछल रहा था ,
उसका धड भूमि पर पडा सुनसान है !
विलाप रहे हैं परिजन सबके ,
युद्ध भूमि में शोर घमासान है ||
जा विजय का आह्वान कर ,
पर नारियों का सम्मान कर !
कुछ मात्रभूमि पर गुमान कर ,
प्रतिशोध अब पूरा हुआ |
कुछ पल तो अब आराम कर||
© Confused Thoughts
कविता पढने के बाद प्रतिक्रिया अवश्य दें आपकी प्रतिक्रिया मुझे प्रेरित करती है !
शस्त्र तुम निकाल लो !
मिट्टी को बना मुकुट ,
मस्तकों पे धार लो !
प्रतिशोध की घड़ी है,
अब ये बात मन में ठान लो ||
जा युद्ध का आह्वान कर,
शत्रु को हैरान कर !
गूंज उठे शब्द गगन में ,
ऐसा तू गुंजाल कर !
प्रतिशोध की घडी है ये
आज बात मन में गाढ लो ||
कुछ वीरों का ध्यान कर ,
कुछ भागवत का सार पढ,
कुछ भाव ला क्रोध के!
आज अशोक को तू याद कर ,
यही घडी मिली है प्रतिशोध की!
आज बात मन में ठान ले||
युद्ध के लिए उठा ध्वजा ,
ढोल को आज जोर से बजा!
रथ को तू वधु जैसा सजा ,
जा शत्रुओं को दे सजा !
यही घडी है प्रतिशोध की,
आज मन में ठान ले||
आज ह्रदय को तू निकाल कर,
बाजुओं को ढाल कर,
तिलक लगा तू भाल पर !
रूप को विकराल कर ,
प्रतिशोध की घड़ी है अब !
आज निकल तू ये ठान कर||
युद्ध का आरम्भ कर ,
कुछ स्थिति प्रचंड़ कर !
देव को प्रणाम कर ,
धनुष पर तू बाण धर!
प्रतिशोध का आरम्भ कर ,
आज ह्रदय को बांध कर||
तरकश को तू धार ले ,
तलवार को साध ले !
लपट उठा दे रणभूमि में ,
कुछ ऐसा प्रमाण दे !
प्रतिशोध की अग्नि है ये ,
इसे वायु से विराट कर ||
आज वीर का प्रमाण दे ,
वीरता उभार दे !
यही घडी प्रतिशोध की ,
अब प्रेम को बिसार दे !
शत्रुओं के मस्तकों को ,
कृपाण से उतार दे ||
शत्रु को ललकार कर :-
"आ धूर्त मुझसे युद्ध कर ,
शक्ति है कितनी तुझमें ?आ शौर्य को प्रदर्श कर !
तेरे रक्त को लालायित हूं ,
आ मुझे तू तृप्त कर ||
एक बार तो मुठभेड कर ,
आज तुझे कुछ ज्ञान दूंगा !
दो दो हाथ तो कर मुझसे ,
यहीं भूमि में गाढ दूंगा !
इतिहास की हस्ती क्या है ?
आज तेरा भूगोल बदल दूंगा !
प्रतिशोध की घड़ी है आज ,
सब अस्त व्यस्त कर दूंगा||
आज वायु को नया मोड दूंगा ,सब वर्जनायें तोड़ दूंगा!
उतार मुंड धड़ तेरे,
हाथ पैर जोड दूंगा ||"
महाकाल का तू ध्यान धर ,
तांड़व सा तू नृत्य कर !
हाथ मैं त्रिशुल धर ,
सिर शत्रु के उतार धर !
आज तू ये पाप कर ,
मन में मृत्युंजय जाप कर !
प्रतिशोध की घड़ी है ये ,
मन में तू ना शोक कर ||
जन जन की पुकार है ,
राज्य में हाहाकार है!
शत्रु मस्तक पर सवार है,
अब युद्ध की गुहार है !
धनुष अब तू धार ले ,
प्रत्यंचा अब तू चढा ले !
तेरे कहर का शिकार होने,
वहां शत्रुओं की कतार हैं!
पराक्रम का प्रचार कर ,
पूर्वजों का मान रख!
ये प्रतिशोध की गुहार है||
विजय तेरे करीब है ,
शत्रु नेता करीब है !
जा इसे तू ललकार दे ,
गगन तक दहाड़ दे !
पल भर भी ना विचार कर,
मस्तक इसका उतार दे !
सिहर उठे भू हाहाकार से ,
शत्रुओं को नृशंस्य ताड़ दे!
प्रतिशोध की ज्वाला है ये ,
अब विजय से तू तार दे||
युद्ध अब विराम है,
शत्रु अब परेशान है !
सेना के साथ जो उछल रहा था ,
उसका धड भूमि पर पडा सुनसान है !
विलाप रहे हैं परिजन सबके ,
युद्ध भूमि में शोर घमासान है ||
जा विजय का आह्वान कर ,
पर नारियों का सम्मान कर !
कुछ मात्रभूमि पर गुमान कर ,
प्रतिशोध अब पूरा हुआ |
कुछ पल तो अब आराम कर||
© Confused Thoughts
कविता पढने के बाद प्रतिक्रिया अवश्य दें आपकी प्रतिक्रिया मुझे प्रेरित करती है !
हिन्दुस्तान को आज इस तरह की बहुत सी कविताओं की आवश्यकता है |
ReplyDeleteसर कद से भी अधिक सम्मान देने के लिए धन्यवाद ! अगर मेरी से कविता कोई सैनिक भाई पढेगा तब जाकर कविता सफल होगी
ReplyDeleteबढिया बहुत ही बढिया!!
ReplyDeleteEverything was perfect. The rhyme the chime, everything. Actually this was outstanding and excellent. Words filled with power and lots of bravery. Loved it..!!!
ReplyDeleteThank you so much for such kinda priceless reaction . ☺
ReplyDeleteयह जानकर अच्छा लगा आज के नन्हे युवा भी हिंदी की इतनी प्रतिभावान डोर को संभाले हैं। साधुवाद आपको नन्हे कवि
ReplyDeleteमुझे लेखन का बहुत कम अनुभव है पिछले २० दिनों से लिखना प्रारम्भ किया था और कविता तो मैने प्रयोग के लिए लिखी थी क्योंकि वीर रस की कवितायें सबसे ज्यादा प्रिय थीं स्कूल के समय पर तो सोचा मैं भी लिखकर देखता हूं 😂
ReplyDeleteबीस दिनों में 100 फॉलोवर्स काबिले तारीफ में साल भर में मात्र 300 लोल .. मेरे लिये भी लिख दिया करो दोस्त 😊 💐💐 बहुत सुंदर आशा करती हूँ यूँही लिखते रहोगे । खूब पढ़ो और आगे बढ़ो
ReplyDeleteउसके लिए प्रशंसा का पात्र नहीं हूं मैं क्योंकि मैं नया था तो मैंने ज्यादा से ज्यादा ब्लाग पढने के लिए लोगों को फॉलो किया बस उनमें से बहुत लोगों ने फालो बैक किया 😂
ReplyDeleteHan mujhe yh nahin aata aisa karna chiye ye acche blogger ki nishani hai
ReplyDeleteHow old are you Shiva
ReplyDeleteपता नहीं जब इन्सान खाली बोर हो रहा हो तो यही सब पढेगा 😁
ReplyDeleteमम्मी बता रही थी अब २० का हो गया है
ReplyDeleteHaha cute .. u are 16 yrs younger to me my cousin's are of ur age
ReplyDeleteSounds good ! Nice to meet you
ReplyDeleteAnd thanks again for such kinda warm love
You are most welcome keep writing more n more
ReplyDeleteक्या पता जंगे आजादी की लड़ाई में कितनों की बलि चढ़ गई,
ReplyDeleteआज के भारतीय को क्या पता कितनों की गोद उजड़ गई।
कितनों के उजड़े सुहाग और कितनों के घर उजड़ गए,
आज का भारतीय बस अपनी मस्ती में मस्त है।
बहुत सुन्दर ! मगर मेरा आशय किसी वर्तमान युद्ध के लिए नहीं था मेरा आशय उत्साहवर्धन से था
ReplyDeleteThank you so much
ReplyDeleteA really good answer, full of ratlinaoity!
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